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Compare RSS to Taliban : तालिबान से RSS की तुलना मामले में जावेद अख्तर को मुंबई कोर्ट से झटका !

 28 Mar 2023

Javed Akhtar compared RSS to Taliban -

मशहूर लेखक, गीतकार और पूर्व राज्य सभा सांसद जावेद अख्तर को RSS की तुलना तालिबान (Former Rajya Sabha MP Javed Akhtar compared RSS to Taliban) से करना महंगा पड़ सकता है। साल 2021 में दिए इस बयान पर RSS समर्थक वकील संतोष दुबे (RSS supporter advocate Santosh Dubey) ने अख्तर के खिलाफ एक आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत में संतोष दुबे के द्वारा यह आरोप लगाया गया कि जावेद अख्तर ने RSS को तालिबान के रूप में संदर्भित किया है, जिससे उनकी भावनाएँ आहत हुई हैं। जिस पर मुंबई के मुलुंड मजिस्ट्रेट कोर्ट (Mumbai Mulund Magistrate Court) जावेद अख्तर को मानहानि के आरोपों का सामना करने के लिए तलब किया था। वहीं इस मामले पर याचिकाकर्ता संतोष दुबे ने कहा कि तालिबान की बर्बरता पर बात करते हुए उन्हें मजबूरन RSS को बीच में लाने की कोई जरूरत नहीं थी।

जावेद अख्तर का बयान (Javed Akhtar statement) -

जावेद अख्तर का यह बयान जो उन्होंने एक अंग्रेजी चैनल को इंटरव्यू के दौरान कहा कि "मुझे लगता है कि जो लोग RSS, VHP, बजरंग दल जैसे संगठनों का समर्थन करते हैं, उन्हें आत्मचिंतन की जरूरत है। निश्चित तौर पर तालिबान मध्ययुगीन मानसिकता वाला है, इसमें कोई शक नहीं हैं, वे बर्बर हैं, लेकिन आप जिन्हें समर्थन कर रहे हैं, वे उनसे अलग कहां हैं? उनकी जमीन लगातार मजबूत हो रही है। वे अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ रहे हैं।"


जावेद अख्तर मुंबई कोर्ट में (Javed Akhtar Mumbai court) -

जब यह मामला याचिकाकर्ता संतोष दुबे द्वारा मुंबई के मुलुंड मजिस्ट्रेट कोर्ट (Mumbai Mulund Magistrate Court) में गया तो जावेद अख्तर ने भी अपना पक्ष रखा। इस दौरान उन्होंने पुनर्विचार याचिका दायर करते हुए कहा कि "सिर्फ अपने विचार रखने से व्यक्ति को किसी जुर्म का अपराधी नहीं माना जा सकता है।" जावेद के वकील ने कहा कि "यह जुहू के रहने वाले है और जिस कोर्ट ने अख्तर को समन जारी किया है वह मुलुंड में है, जुहू उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है और याचिकाकर्ता ने किसी बात पर अपने विचार व्यक्त किए हैं तो यह विचार मानहानि का अपराध नहीं बनता है। वहीं RSS के समर्थक वकील ने अभी तक ऐसा कोई लेटर नहीं दिखाया है जिससे यह साबित होता हो कि संघ ने उनको केस फाइल करने का अधिकार दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि महज इस बात पर उन पर कार्रवाई कर देना कि जिस व्यक्ति ने याचिका दायर की है वह संघ का समर्थक है, यह ठीक नहीं है।"


AAJ TAK के मुताबिक मामलें की सुनवाई के दौरान सेशन कोर्ट के जज ने कहा "याचिकाकर्ता (जावेद अख्तर) का बयान एक राष्ट्रीय चैनल और यूट्यूब पर एक इंटरव्यू में था। जिससे स्वयंसेवकों, RSS के समर्थकों की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है और दुनिया को एक संदेश दिया गया है कि RSS अफगानिस्तान में तालिबान के समान है। RSS की तालिबान मानसिकता से तुलना, जिसमें बर्बर कृत्य शामिल हैं। इसमें प्रथम दृष्टया RSS की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए पर्याप्त सामग्री है।" जज ने आगे कहा, "RSS के स्वयंसेवी संगठन की तालिबान मानसिकता से तुलना, जिसमें बर्बर कृत्य हैं। प्रथम दृष्टया RSS की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाले तत्व हैं।" जावेद अख्तर को 31 मार्च को मजिस्ट्रेट अदालत में उपस्थित होना होगा, नहीं तो उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट की मांग की जाएगी।

इस मामले में सेशन कोर्ट से झटका लगने के बाद जावेद अख्तर के वकील जय भारद्वाज ने कहा कि वे जल्द सेशन कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख करेंगे और अपना पक्ष रखेंगे। 


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