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जिग्नेश मेवानी का दलित आंदोलन से लेकर दूसरी बार विधायक बनने तक का सफ़र एक नज़र में !
17 Dec 2022

जिग्नेश मेवानी --
जिग्नेश मेवानी का जन्म जन्म 11 दिसंबर 1980 को राज्य गुजरात के अहमदाबाद में हुआ और शुरुआत में स्कूल तक की पढ़ाई अहमदाबाद में स्वास्तिक विद्यालय और विश्वविद्यालय माध्यमिक विद्यालय से पूर्ण की। स्नातक के लिए 2003 में H K आर्ट्स कॉलेज जोकि अहमदाबाद में स्थित है वहा से अंग्रेज़ी साहित्य में आर्ट से स्नातक पूर्ण की। अग्रिम पढ़ाई के लिए 2004 में पत्रकारिता, जन संचार में डिप्लोमा प्राप्त करने बाद 2013 में डी. टी. लॉ कॉलेज जोकि अहमदाबाद में है वहां से Bachelor of Law की पढ़ाई उत्तीर्ण की। वर्तमान में 2017 से गुजरात विधानसभा में वडगाम निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में कार्यरत है।

ख़ास पहचान --
आज के मेवानी और पहले के मेवानी में बहुत अंतर हो देखने को मिलता है, इस की शुरुआत ऊना में दलितों पर हुए अत्याचार से हुई, दरअसल ऊना में गौ रक्षा के नाम पर दलितों पर अत्याचार हुए और फिर ये मुद्दा बनकर एक आंदोलन का रूप ले चूका था। इस आंदोलन का नेतृत्व जिग्नेश मेवानी ने किया। गौ संरक्षण समूह के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलने के बाद गौ संरक्षण समूह ने एक दावा किया था कि पूरे राज्य भर में पुरज़ोर तरीक़े से विरोध-प्रदर्शन चल रहा है। इस घटना के उपरांत जिग्नेश मेवानी ने दलितों को लेकर "अस्मिता यात्रा" निकाली जो उस समय से लेकर 15 अगस्त 2016 तक चलती रही। इस यात्रा में दलित महिलाएं और पुरुष दोनों की भागीदारी रही और इन जन - सैलाब का आंकड़ा करीबन 20000 तक पहुंच गया था। वही इस यात्रा से दलितों ने गौ शवों को निपटारा करने वाली अपनी नौकरी छोड़ देने की शपथ लेकर पूरा किया। आगे चलकर जिग्नेश मेवानी ने दलितों के लिए और उत्थान के लिए सरकार से सम्मान सहित जमीन की देने मांग की तो दलित समाज की नज़र में मेवानी की एक अलग ही पहचान और रुतबा तो वही देश के समाज सेवक नेता के रूप में जाने गए।

राजनीति की तरफ झुकाव --
इस ख़ास और आम प्रकरणों के बाद वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के समय मेवानी ने विधानसभा चुनाव में निर्दलीय नेता के रूप में बडगाम निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा सीट पर चुनाव मैदान में उतरे और 2017 में 18 दिसंबर के परिणामों में जीत हासिल करते ही कांग्रेस पार्टी को समर्थन दे दिया। चुनाव जितने के बाद मेवानी राहुल गांधी के बेहद करीबी बन चुके थे और साथ ही नजऱ भी आने लगे थे। वही इस में असली मोड़ उस समय आया जब जिग्नेश मेवानी ने एक चुनावी रैली के दौरान रैली की भीड़ से धर्म से संबंधित टिप्पणी करते हुए “अल्लाह हु अकबर” के नारे लगाने की बात कही तो नाराज़ भीड़ ने ये नारा ना लगाते भीड़ ने अपने पलटवार में "मोदी-मोदी" के नारे लगाना शुरु कर दिया। ये देखते देखते ही वीडियो वायरल हो गया और इसकी पहचान अब पुरे देश में हो चुकी थी। वही बयानबाजी का सिलसिला यही नहीं रुका और उसी 2017 वर्ष की 20 दिसंबर यानि चुनाव परिणाम के ठीक 2 दिन बाद एक और बयान देकर मीडिया की नजरों में आ गए। दरअसल जिग्नेश मेवानी ने कहा था कि “नरेंद्र मोदी जी को अब राजनीति से रिटायर हो जाना चाहिए और हिमालय की ओर चला जाना चाहिए।” ये कथन कहते ही वीडियो पुरे देश में मुख्य तौर पर पहचान बना चूका था।

वर्तमान --
2022 के विधानसभा में एक बार फिर वडगाम सीट से चुनावी मैदान कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में उतरे, वही बीजेपी ने 2012 के पूर्व कांग्रेस नेता और विधायक मनीलाल वाघेला को सामने उतारा। तीसरे पायदान पर आम आदमी पार्टी और AIMIM ने भी अपनी किस्मत आजमाने के लिए उम्मीदवार उतारे। आम आदमी पार्टी से दलपत भाटिया और AIMIM से प्रदीप परमार ने पार्टी का प्रतिनिधित्व किया। पिछले 2017 के चुनाव की बात करे तो कांग्रेस के समर्थन से लगभग 19,696 मतों के अंतर से बीजेपी के उम्मीदवार को मेवानी जिग्नेश ने हरा कर जीत दर्ज़ की थी। आंकड़ो के अनुसार 2017 के चुनाव में मेवानी को 50.79% वोट मिले थे। गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार हुई और बड़े-बड़े दिग्गज नेता भी बीजेपी के गढ़ में अपना ख़ास असर नहीं छोड़ पाए, वहीं वडगाम सीट से जिग्नेश मेवाणी अपनी सीट को बचाने में सफ़ल रहे। ख़ास बात ये रही कि इसका सामना बीजेपी से मनीलाल वाघेला से हुआ और उनके पलड़े में हार मिली।

आंकड़ों की बात --
- 2017 के चुनाव में 95,497 वोट मिले।
- 2022 के चुनाव में 94, 765 वोट मिले।
जिग्नेश मेवानी गुजरात के वडगाम विधानसभा क्षेत्र से विधायक है, साथ ही राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के समन्वयक (Coordinator) भी है।
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