कांग्रेस का आरोप: पिछले 11 साल से देश पर अघोषित आपातकाल थोप रही है मोदी सरकार

आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर बुधवार को केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच तीखी सियासी जंग देखने को मिली। जहां भाजपा ने इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाते हुए कांग्रेस को घेरा, वहीं कांग्रेस ने पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि बीते 11 वर्षों से देश में एक ‘अघोषित आपातकाल’ लागू है।


कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने केंद्र पर जोरदार हमला करते हुए कहा, “आज देश में बेलगाम नफरती भाषण दिए जा रहे हैं, नागरिक अधिकारों का दमन हो रहा है और असहमति को देशद्रोह बताया जा रहा है। सरकार के आलोचकों को बदनाम किया जा रहा है और अल्पसंख्यकों, दलितों, वंचित तबकों को निशाना बनाया जा रहा है।” उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों को खालिस्तानी कहा गया, जातिगत जनगणना की मांग करने वालों को शहरी नक्सली करार दिया गया। यहां तक कि महात्मा गांधी के हत्यारों का महिमामंडन हो रहा है। ऐसे में यह कहना बिल्कुल उपयुक्त होगा कि देश एक अघोषित आपातकाल से गुजर रहा है।”

कांग्रेस के इन आरोपों पर भाजपा ने पलटवार करते हुए कांग्रेस को 1975 के आपातकाल की याद दिलाई। भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा, “गांधी-वाड्रा परिवार ने आज तक देश से आपातकाल के लिए माफी नहीं मांगी। यह परिवार लोकतंत्र को कुचलने और संविधान की हत्या का दोषी है। सत्ता बचाने के लिए उन्होंने बुनियादी अधिकारों को छीना था।”

शिवसेना (UBT) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने इंदिरा गांधी की पैरवी करते हुए कहा, “आपातकाल लोकतंत्र की हत्या नहीं, बल्कि संविधान के तहत लिया गया निर्णय था। इंदिरा गांधी चाहतीं तो पैसे और जोड़तोड़ से चुनाव जीत सकती थीं, लेकिन उन्होंने नैतिक आधार पर इस्तीफा देकर लोकतंत्र का सम्मान किया। आज जो माहौल है, वह कहीं अधिक खतरनाक है। पिछले 11 वर्षों से देश अघोषित आपातकाल झेल रहा है।”

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी ने मौजूदा हालात की तुलना 1975 से की। उन्होंने कहा, “आज प्रेस की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति का अधिकार और असहमति की जगह खत्म होती जा रही है। सरकार के खिलाफ बोलने पर झूठे मुकदमे, गिरफ्तारी और दमन का खतरा मंडरा रहा है। यह समय लोकतंत्र को बचाने का है।”

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