बांग्लादेश भेजे जाने की आशंका पर हाईकोर्ट सख्त, असम पुलिस को नोटिस

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने गुरुवार को असम के कामरूप जिले के दो निवासियों की ओर से दायर एक याचिका पर राज्य सरकार, भारत सरकार, जिला प्रशासन और असम पुलिस को नोटिस जारी किया है। यह याचिका तोराप अली द्वारा दाखिल की गई थी, जो अबू बकर सिद्दीक और अकबर अली के भतीजे हैं। इन दोनों को वर्ष 2017 में विदेशी घोषित किया गया था और हाल ही में कथित तौर पर बिना किसी पूर्व सूचना के हिरासत में लिया गया।


तोराप अली का आरोप है कि उनके चाचाओं को 25 मई को हिरासत में लिए जाने के बाद से परिवार को कोई सूचना नहीं दी गई, न ही उन्हें कानूनी सहायता का अवसर मिला। याचिका में यह भी आशंका जताई गई है कि दोनों को "अवैध रूप से बांग्लादेश में वापस भेजा जा सकता है।" याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हाफिज रशीद अहमद चौधरी और वकील जे. पायेंग ने अदालत को बताया कि दोनों व्यक्ति असम की सीमा पुलिस की हिरासत में हैं।

मुख्य न्यायाधीश कल्याण राय सुराना और न्यायमूर्ति मालाश्री नंदा की पीठ ने राज्य और केंद्र सरकार से जवाब तलब करते हुए यह स्पष्ट करने को कहा है कि दोनों व्यक्ति वर्तमान में कहां रखे गए हैं और उनकी स्थिति क्या है। याचिका में कहा गया है कि अबू बकर सिद्दीक और अकबर अली को 2017 में विदेशी घोषित किया गया था और उसके बाद गोलपाड़ा जेल में रखा गया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के 2020 के एक निर्देश के तहत — जिसमें दो साल से अधिक हिरासत में रहने वालों को जमानत देने की बात कही गई थी  दोनों को रिहा कर दिया गया था।

याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि फास्ट ट्रैक कोर्ट के आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी, लेकिन वह याचिका खारिज कर दी गई। याचिकाकर्ता का कहना है कि विदेशी न्यायाधिकरण के फैसले को प्रभावी रूप से चुनौती देने का उन्हें मौका नहीं मिला, और बिना सभी कानूनी उपायों को अपनाए, उन्हें निर्वासित करना संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। याचिका में यह भी स्पष्ट किया गया है कि विदेशी न्यायाधिकरण का आदेश राष्ट्रीयता का पूर्ण निर्धारण नहीं करता और ऐसे मामलों में हिरासत में रखना तब तक उचित नहीं जब तक सभी वैध मंचों पर चुनौती की प्रक्रिया पूरी न हो जाए। इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 4 जून तय की गई है।

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