'ऑपरेशन सिंदूर' पर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल करेगा विदेश दौरा, आतंकवाद पर भारत की कूटनीतिक मुहिम तेज

'ऑपरेशन सिंदूर' के सफल सैन्य अभियान के बाद अब केंद्र सरकार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की स्थिति को मजबूती से रखने की तैयारी में जुट गई है। आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार कूटनीतिक कदमों की ओर अग्रसर हो रही है, ताकि वैश्विक स्तर पर यह संदेश दिया जा सके कि भारत आतंकवाद के खिलाफ एकजुट और अडिग है।


सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार आने वाले दिनों में विभिन्न देशों की राजधानियों में सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल भेजने की योजना बना रही है। इसका उद्देश्य भारत की आतंकवाद विरोधी नीति, 'ऑपरेशन सिंदूर' की पृष्ठभूमि, और पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवादी गतिविधियों पर देश की एकमत प्रतिक्रिया को वैश्विक समुदाय के सामने प्रस्तुत करना है। बताया जा रहा है कि विदेश मंत्रालय इस संबंध में लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों के सहयोग से उन सांसदों की सूची तैयार कर रहा है, जो इन प्रतिनिधिमंडलों में शामिल किए जा सकते हैं। सरकार की मंशा यह है कि अलग-अलग वैचारिक पृष्ठभूमियों के बावजूद, भारत के सभी प्रमुख दल राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर एक स्वर में अपनी बात अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रखें।

सरकार इस अभियान को पूरी तरह गैर-राजनीतिक और राष्ट्रीय हित में प्रस्तुत करने की कोशिश कर रही है। इसी उद्देश्य से संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कई विपक्षी दलों के वरिष्ठ सांसदों से सीधे संपर्क साधा है। जिन प्रमुख नेताओं से संपर्क किया गया है, उनमें कांग्रेस के शशि थरूर और सलमान खुर्शीद, एनसीपी की सुप्रिया सुले, टीएमसी के सुदीप बंद्योपाध्याय, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, डीएमके की कनिमोझी, और बीजेपी के बीजे पांडा शामिल हैं। शशि थरूर इस समय विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं, जबकि सलमान खुर्शीद भारत के पूर्व विदेश मंत्री रह चुके हैं। इन दोनों की अंतरराष्ट्रीय समझ और कूटनीतिक अनुभव को इस पहल में विशेष रूप से उपयोगी माना जा रहा है।

सरकार की योजना है कि 5-6 प्रतिनिधिमंडल विभिन्न रणनीतिक देशों की यात्रा करें, विशेष रूप से यूरोपीय संघ के देश, खाड़ी क्षेत्र और पश्चिमी एशिया, जहां भारत की कूटनीतिक, ऊर्जा और सुरक्षा नीतियों से जुड़ा गहरा हित है। इन प्रतिनिधिमंडलों का मकसद यह स्पष्ट करना होगा कि  भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' क्यों चलाया, पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ठिकानों को निशाना क्यों बनाया गया  और भारत ने यह कार्रवाई आतंकवादी हमलों के जवाब में आत्मरक्षा के तहत की।

यह पहल भारत की कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जो अतीत में भी कारगर रही है। वर्ष 1994 में पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार ने तत्कालीन विपक्षी नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल को जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHRC) भेजा था। उस समय भारत ने पाकिस्तान द्वारा पेश प्रस्ताव को विफल किया था, जो जम्मू-कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघनों के मुद्दे पर भारत की निंदा करने की कोशिश कर रहा था। इसी तरह 2008 में मुंबई हमलों के बाद भी भारत ने कई कूटनीतिक कदम उठाकर पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर बेनकाब किया था। अब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद केंद्र सरकार उसी रणनीति को नया रूप देकर आगे बढ़ रही है।


For all the political updates download our Molitics App : Click here to Download
Article