
Goa: भाजपा कार्यालय में चोरी, मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में सुरक्षा पर सवाल, कांग्रेस ने घेरा
गोवा से एक चौंकाने वाला और गंभीर मामला सामने आया है, जिसने राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठा दिया है। यहां मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के सैंक्वेलिम निर्वाचन क्षेत्र में स्थित भाजपा कार्यालय को चोरों ने निशाना बनाया। यह घटना न केवल राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी है, बल्कि विपक्ष ने इसे राज्य में सुरक्षा व्यवस्था की कमज़ोरी के रूप में भी पेश किया है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यह चोरी की घटना रविवार की रात तब हुई जब भाजपा कार्यालय बंद था। कम से कम दो संदिग्ध बिना किसी रोक-टोक के कार्यालय में घुस गए और वहां से दो मोबाइल फोन चुरा कर फरार हो गए। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस ने तुरंत छानबीन शुरू की और आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज की मदद से दो संदिग्धों को हिरासत में ले लिया है। पुलिस के अनुसार, ये दोनों आरोपी कर्नाटक के रहने वाले हैं और फिलहाल उनसे पूछताछ की जा रही है ताकि इस चोरी के पीछे की साजिश और मकसद का पता लगाया जा सके।
भाजपा कार्यालय में चोरी होने की यह घटना मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के लिए एक चुनौती भी बन गई है, जो इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और साथ ही राज्य में गृह विभाग का प्रभार भी संभालते हैं। ऐसे में विपक्षी दलों ने इस मामले को सरकार की नाकामी और राज्य में कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के रूप में प्रस्तुत किया है।
गोवा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया सेल के अध्यक्ष अमरनाथ पंजिकर ने इस घटना को लेकर कड़ी आलोचना की और कहा, "अगर सत्ता पक्ष के अपने ही कार्यालय सुरक्षित नहीं रह सकते, तो यह साफ़ संकेत है कि गोवा में पुलिसिंग और शासन की स्थिति कितनी खस्ताहाल है। हर दिन अपराध बढ़ रहे हैं, डकैती और चोरी जैसी घटनाएं आम हो गई हैं, और सरकार इस पर कोई प्रभावी नियंत्रण नहीं रख पा रही।" उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार बार-बार आश्वासन देने के बावजूद बुनियादी सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रही है। स्थानीय पुलिस थानों को मजबूत करने, जनशक्ति बढ़ाने और संसाधनों की उपलब्धता पर ध्यान देने की सख्त आवश्यकता है, नहीं तो गोवा अराजकता की ओर और बढ़ सकता है।
इसी तरह, गोवा की एक प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी, रिवोल्यूशनरी गोंस पार्टी (Goans Party) ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है। पार्टी ने कहा कि मुख्यमंत्री के अपने निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा कार्यालय तक सुरक्षित नहीं है, तो आम जनता की सुरक्षा के बारे में क्या कहा जा सकता है? यह घटना सीधे तौर पर यह सवाल उठाती है कि क्या राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभा पा रही है या नहीं।
इस पूरे मामले ने गोवा की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था पर भारी दबाव डाल दिया है।
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