
आतंकवाद पर भारत के एक्शन से प्रभावित इज़राइल, कहा- “सिंदूर नाम ने दिल छू लिया”
पाकिस्तान और पीओके में भारतीय सेना द्वारा अंजाम दिए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने न सिर्फ आतंक के खिलाफ भारत के नए रुख को दुनिया के सामने रखा, बल्कि वैश्विक स्तर पर इसकी गूंज भी सुनाई दी। इस साहसिक और सटीक सैन्य कार्रवाई को लेकर कई देशों ने संयम बरतने की अपील की है, लेकिन इज़राइल भारत के पक्ष में खुलकर सामने आया है। इज़राइल के मध्य-पश्चिम भारत स्थित कॉन्सुल जनरल कोबी शोषानी ने इस ऑपरेशन को आत्मरक्षा का सही उदाहरण बताते हुए भारत की सैन्य कार्रवाई की भरपूर सराहना की और कहा कि उन्हें इस पर गर्व है। भारतीय सेना ने 7 मई की रात, तीनों सेनाओं के समन्वय से 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम दिया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में स्थित जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के नौ ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए गए।
यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। बताया गया कि आतंकी हमले के दौरान महिलाओं को छोड़कर पुरुषों को निशाना बनाया गया और उनके परिवारों के सामने बेरहमी से मार डाला गया था।
इसी भीषण पृष्ठभूमि में भारत द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई को इज़राइल ने न सिर्फ जायज़ बताया, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों के दृष्टिकोण से भी एक वैध कदम कहा। कोबी शोषानी ने ANI को दिए इंटरव्यू में कहा, "यह भारत का अपनी संप्रभुता और नागरिकों की रक्षा करने का अधिकार है। यह सिर्फ सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संदेश है आतंकवाद के लिए – कि भारत चुप नहीं बैठेगा।" उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक भावनात्मक प्रतीक भी है, जिसने भारतीयों के दिलों को छुआ है और यह नाम उन्हें भी बहुत गहराई से प्रभावित कर गया।
‘सिंदूर’ नाम पर विशेष टिप्पणी करते हुए शोषानी ने कहा कि यह सिर्फ एक ऑपरेशन का नाम नहीं है, बल्कि भारतीय परंपरा, संस्कृति और बलिदान की भावना का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा कि यह नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखा गया और यह इस अभियान को एक सांस्कृतिक और भावनात्मक गहराई देता है। "यह नाम सुनकर मैं भावुक हो गया, क्योंकि यह उन महिलाओं के प्रति सम्मान है, जिन्होंने आतंकवाद में अपने पति या परिवार के सदस्य खो दिए।
यह एक श्रद्धांजलि है, एक सशक्त संकेत है," उन्होंने कहा।
शोषानी ने आगे कहा कि कश्मीर में जो कुछ हुआ, वह पूरी तरह अस्वीकार्य है और भारत को अपनी सुरक्षा के लिए जो भी ज़रूरी हो, वह करने का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा कि इज़राइल आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ खड़ा है और यह लड़ाई सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि पूरी सभ्य दुनिया की है। "आज जो भारत ने किया, वही दुनिया को करना चाहिए – आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट, सटीक और निर्णायक प्रतिक्रिया," उन्होंने कहा।
इज़राइल और भारत के बीच संबंध पिछले कुछ दशकों में केवल मजबूत ही हुए हैं। 1992 में राजनयिक संबंधों की शुरुआत के बाद से दोनों देशों ने रक्षा, सुरक्षा, कृषि, तकनीक और खुफिया सहयोग जैसे क्षेत्रों में गहरा तालमेल बनाया है। 2008 के मुंबई हमलों के बाद इज़राइल ने भारत को विशेष ऑपरेशन बलों, जासूसी उपकरणों और आतंक-निरोधक तकनीकों में सहयोग की पेशकश की थी। यही नहीं, भारत इज़राइल से स्पाइक एंटी-टैंक मिसाइल, हेरॉन ड्रोन और अन्य उन्नत हथियार प्रणाली भी खरीदता रहा है, जिससे दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को मजबूती मिली है।
इज़राइल की यह प्रतिक्रिया भारत को न सिर्फ कूटनीतिक रूप से समर्थन देती है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को भी वैधता और नैतिक बल प्रदान करती है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अब केवल एक सैन्य मिशन नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय भावना, सुरक्षा नीति और वैश्विक सहयोग का प्रतीक बन चुका है।
यह कार्रवाई दुनिया के सामने यह स्पष्ट संदेश भी देती है कि भारत अब किसी भी प्रकार की आतंकी घटना को चुपचाप सहने के मूड में नहीं है। चाहे वह आतंकी संगठन हो या उन्हें पनाह देने वाला राष्ट्र, भारत हर स्तर पर जवाब देने की नीति अपना चुका है। और जब दुनिया के शक्तिशाली राष्ट्रों में से एक, इज़राइल, खुले मंच पर भारत की सराहना करता है, तो यह इस बात का प्रमाण है कि भारत अब आतंक के खिलाफ वैश्विक नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभा रहा है।
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