
अब यह असहनीय हो चुका है… हरियाणा के एक IPS अधिकारी की आखिरी चिट्ठी
वाई पूरन कुमार सुसाइड केस
हरियाणा के सीनियर आईपीएस अफसर वाई. पूरन कुमार की सुसाइड केस के बाद मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। शनिवार को उनकी पत्नी और आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार मीडिया से बात करने वाली थीं, लेकिन उससे पहले ही हरियाणा सरकार के कुछ बड़े अफसर उनके घर पहुंच गए। बातचीत हुई और फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस को टाल दिया गया।
जबकि बुधवार को चंडीगढ़ पुलिस में अमनीत कुमार ने शिकायत दर्ज कराई है और मांग की कि हरियाणा के डीजीपी और रोहतक के एसपी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा (धारा 108 बीएनएस, 2023) और अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की अन्य धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की जाए। उन्होंने इन अधिकारियों की तुरंत गिरफ्तारी की भी अपील की है।
अमनीत कुमार ने 8 और 9 अक्टूबर को चंडीगढ़ पुलिस और हरियाणा के मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपे। उनका आरोप है कि उनके पति को झूठे आरोपों में फंसाया गया, मानसिक रूप से इतना परेशान किया गया कि जिसके कारण उन्होंने अपनी जान दे दी । उन्होंने मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच होनी चाहिए। वही रोहतक के अर्बन एस्टेट थाने में वाई पूरन कुमार के खिलाफ 6 अक्टूबर को एक एफआईआर दर्ज हुई थी, लेकिन अमनीत ने उसमें अधूरी जानकारी होने पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि गलत तरीके से आईपीएस को फ़साने की कोशिश हुई है और जब तक कार्यवाई कर के सभी आरोपियों के नाम नहीं जोड़े जाते तब तक परिवार पोस्टमार्टम की इजाजत नहीं देगा।
चंडीगढ़ पुलिस ने सुसाइड केस जांच के लिए छह लोगों की एसआईटी बना दी है। वहीं, अमनीत ने हरियाणा के डीजीपी और रोहतक के एसपी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने और एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने इन अफसरों की गिरफ्तारी की भी अपील की है।
आईएएस एसोसिएशन भी इस मामले में एक्टिव हो गया है। उन्होंने सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन से कहा है कि अमनीत कुमार की सुसाइड केस से जुड़ी शिकायतों को गंभीरता से लिया जाए। साथ ही उन्होंने पूरन कुमार की ईमानदारी और जनसेवा को याद करते हुए उनके निधन पर शोक जताया।
सुसाइड नोट में अफसर ने क्या कहा
सुसाइड केस से पहले पुरन कुमार ने अपने पत्र में लिखा कि अगस्त 2020 से उन्हें लगातार निशाना बनाया जा रहा था। एक मंदिर दर्शन को लेकर शुरू हुए विवाद के बाद, उनके खिलाफ साज़िशें रची गईं थी । उन्होंने बताया कि उनकी गोपनीय रिपोर्टें (APAR) लीक की गईं, छुट्टी देने में जानबूझकर देरी की गई जिससे वे अपने बीमार पिता से अंतिम बार मिल भी नहीं सके, और मीडिया में उनके खिलाफ झूठी खबरें फैलाई गईं। उन्होंने यह भी लिखा कि उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया गया, और जिन अधिकारियों के खिलाफ उन्होंने शिकायत की थी, उन्हीं को जांच सौंप दी गई थी।
पत्र में कई वरिष्ठ अधिकारियों के नाम दर्ज हैं जिनमें ADGP अमिताभ धिल्लों, संजय कुमार और IGP पंकज नैन शामिल हैं। इन पर आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर पुरन कुमार को अपमानित करने के लिए झूठी शिकायतें फैलाईं, उनकी बैंक सेविंग्स को संदिग्ध बताया, और जांच प्रक्रिया को प्रभावित किया। उन्होंने यह भी लिखा कि DGP शत्रुजीत कपूर ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की साज़िश रची, जबकि खुद के लिए वेतन एरियर मंज़ूर करवाए थे।
पुरन कुमार ने यह स्पष्ट किया कि उनके साथ जो कुछ हुआ, वह अनुसूचित जाति से होने के कारण हुआ है। उन्होंने राज्य सरकार, गृह विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय को कई बार पत्र लिखे, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को भी सूचित किया, पर वहां से भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने लिखा कि उन्हें अब अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर भी चिंता हो रही है।
अपने अंतिम पत्र में उन्होंने अपनी पत्नी अमनीत पी. कुमार (IAS) को अपनी सारी संपत्ति की मालकिन घोषित किया। इसमें बैंक अकाउंट, शेयर, चंडीगढ़ और मोहाली के मकान, और गुड़गांव का ऑफिस स्पेस शामिल है। उन्होंने लिखा कि यह घोषणा उन्होंने पूरी समझ और अपनी इच्छा से की है।
सोशल मीडिया पर बवाल
दिल्ली के पूर्व सीएम अरविन्द केजरिवल ने ट्वीट कर कहा हरियाणा के दलित IPS अफ़सर पूरण कुमार जी को अपनी जाति को लेकर इतना उत्पीड़न झेलना पड़ा कि उन्होंने आत्महत्या कर ली। दोषी लोगों को जल्द से जल्द सख़्त से सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए।
वहीं मलिकार्जुन खरगे ने ट्वीट कर भाजपा पर मनुवादी तंत्र के आरोप लगाए और आगे लिखा कि इस देश के SC, ST, OBC और कमज़ोर वर्गों के लिए एक अभिशाप बन चुका है। हरियाणा के वरिष्ठ दलित IPS अधिकारी, ADGP, श्री वाई. पूरन कुमार की मजबूरन आत्महत्या की खबर न केवल स्तब्ध करने वाली है, बल्कि सामाजिक अन्याय, अमानवीयता और संवेदनहीनता का भयावह प्रमाण है। परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।पिछले 11 वर्षों में इस देश में भाजपा ने मनुवादी मानसिकता इतनी गहरी कर दी है कि ADGP रैंक के दलित अधिकारी को भी न्याय और सुनवाई नहीं मिलती है।
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