असम की चाय जनजाति ने तिनसुकिया में भाजपा सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन

आदिवासी समुदायों का बड़ा असम प्रदर्शन


बुधवार को तिनसुकिया में एक लाख से ज़्यादा आदिवासी लोग सड़कों पर उतर आए है। असम में प्रदर्शन सरकार की उस योजना के खिलाफ है जिसमें छह जनजातीय परिषदें बनाने की बात कही गई है। लोगों का कहना है कि इससे उनकी असली पहचान और अधिकार कमजोर हो जाएंगे। सरकार कह रही है कि इन परिषदों को कुछ सीमित अधिकार दिए जाएंगे, लेकिन आदिवासी समुदायों को लगता है कि ये उनके साथ धोखा है। उनका कहना है कि इससे उनकी संस्कृति और राजनीतिक आवाज़ दब जाएगी। असल में ये लड़ाई ST यानी अनुसूचित जनजाति का दर्जा पाने की है। ताई अहोम, मोरान, मटक, चुटिया, कोच राजबोंगशी और टी ट्राइब्स जैसे छह समुदाय सालों से ये माँग कर रहे हैं। 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने चुनावी रैली में वादा किया था कि उन्हें ST दर्जा मिलेगा। 2016 में भाजपा के विज़न डॉक्यूमेंट में भी यही बात थी। लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।

26 सितंबर को भी ताई अहोम समुदाय ने असम में प्रदर्शन किया था। उनका कहना है कि ST दर्जा मिलने से उनके बच्चों को पढ़ाई और नौकरी में आरक्षण मिलेगा, जिससे उनका भविष्य सुधरेगा। वहीं जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि 2011 में असम की आबादी 3.1 करोड़ थी, जिसमें 40 लाख आदिवासी थे। अगर इन छह समुदायों को ST दर्जा मिल जाए, तो अनुसूचित जनजाति की आबादी 50% तक पहुँच सकती है। यानी राज्य की पूरी सामाजिक तस्वीर बदल सकती है।

लोग चाहते हैं कि उन्हें संविधान में वह हक़ मिले जिससे उनकी भाषा, संस्कृति और परंपराओं को कानूनी अधिकार बना रहे। यह माँग सिर्फ तिनसुकिया तक सीमित नहीं है। पिछले महीने मोरान समुदाय ने चार दिन की आर्थिक नाकेबंदी कर दी थी, जिससे ऊपरी असम ठप हो गया। उन्होंने भी ST दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की माँग की।

तीसरा बड़ा असम प्रदर्शन: आदिवासियों ने साफ़ कहा – हक़ चाहिए


यह तीसरा बड़ा असम में प्रदर्शन है, जिसमें लोगों ने साफ़ कह दिया है कि अब वादों से काम नहीं चलेगा हमें हक़ चाहिए। वहीं सरकार का कहना है कि जनजातीय परिषदें समाधान हैं, लेकिन लोग मानते हैं कि यह सिर्फ दिखावा है। असली मुद्दों को हल करने की बजाय ये उनकी पहचान को और कमजोर कर देगा और अब चाय बागान समुदाय भी तिनसुकिया असम में प्रदर्शन कर रहा है। उनका कहना है कि अब बहुत हो गया सरकार को वादा निभाना ही होगा।

हालांकि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की माँग पर गंभीरता से विचार कर रही है। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर गठित मंत्री समूह आगामी 25 नवंबर को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा, जिसके बाद इसे विधानसभा में चर्चा के लिए पेश किया जाएगा। 

शर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा, हमारी सरकार ने इस मामले पर विचार के लिए एक मंत्री समूह बनाया है। रिपोर्ट आने के बाद विधानसभा में चर्चा होगी और जो निर्णय लिया जाएगा, उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। जबकि शर्मा ने यह भी स्वीकार किया कि इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार की ज़रूरत है। जब हमने इस मुद्दे को गहराई से देखा, तो पाया कि कुछ लाभ ज़रूर मिलेंगे, लेकिन कुछ व्यवधान भी हो सकते हैं। इसलिए विधानसभा में पारित पुराने प्रस्ताव में कुछ संशोधन की आवश्यकता हो सकती है।

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