
पत्नी की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख, ऑपरेशन सिंदूर में शामिल कमांडो को नहीं दी छूट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ब्लैक कैट कमांडो की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उसने दहेज के लिए अपनी पत्नी की हत्या के मामले में पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण (सरेंडर) से छूट की मांग की थी। आरोपी कमांडो ने खुद को ऑपरेशन सिंदूर का प्रतिभागी बताते हुए विशेष राहत देने की गुहार लगाई थी।
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की अगुवाई वाली पीठ ने आरोपी की दलीलों को खारिज करते हुए सख्त टिप्पणी की। उन्होंने कहा,
“सिर्फ इसलिए कि आप एक कमांडो हैं, आपको घर में अपराध करने की छूट नहीं मिल सकती। यह दर्शाता है कि आप शारीरिक रूप से कितने सक्षम हैं और संभवतः आपने अकेले ही अपनी पत्नी की गला घोंटकर हत्या की होगी।”
कोर्ट ने इस घटना को “निर्मम और अमानवीय” बताते हुए साफ किया कि यह मामला किसी विशेष राहत या अपवाद का पात्र नहीं है।
कमांडो के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304बी (दहेज हत्या) के तहत मामला दर्ज है। आरोप है कि उसने दहेज के तौर पर मोटरसाइकिल की मांग की थी, जिसे न मिलने पर उसने अपनी पत्नी की हत्या कर दी।
याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में यह दलील दी कि वह पिछले 20 वर्षों से राष्ट्रीय राइफल्स में कार्यरत है और एक ब्लैक कैट कमांडो के रूप में ऑपरेशन सिंदूर जैसे अहम अभियानों में हिस्सा ले चुका है। साथ ही यह भी तर्क दिया गया कि आरोप केवल दो गवाहों की गवाही पर आधारित है, जो मृतका के रिश्तेदार हैं और जिनकी गवाही में विरोधाभास है।
इससे पहले संबंधित हाईकोर्ट ने भी याचिकाकर्ता को किसी प्रकार की राहत देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी उस फैसले को बरकरार रखते हुए विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज कर दिया। हालांकि कोर्ट ने यह कहते हुए अभियोजन पक्ष को नोटिस जारी किया कि वह छह सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करें, लेकिन याचिकाकर्ता के वकील की ओर से कुछ समय की मांग किए जाने पर कोर्ट ने केवल सरेंडर के लिए दो सप्ताह की मोहलत दी। लेकिन स्पष्ट कर दिया कि इससे ज्यादा कोई रियायत नहीं दी जा सकती।
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