आरक्षण अधिसूचना नहीं हुई जारी, उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट की रोक

उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर फिलहाल विराम लग गया है। नैनीताल हाईकोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा आरक्षण संबंधी अधिसूचना जारी न करने को गंभीरता से लेते हुए आगामी चुनावी प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि अब तक की स्थिति में पंचायत चुनाव की दिशा में कोई भी आगे की कार्रवाई न की जाए।


इस फैसले के बाद राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "हमारी आशंकाएं सही साबित हुईं। हाईकोर्ट के इस फैसले से सरकार की नियत पर सवाल खड़े हो गए हैं।" वहीं, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने एक संतुलित प्रतिक्रिया में कहा, "पार्टी अदालत के फैसले का अध्ययन कर रही है और उसका पूरा सम्मान करती है। सरकार की मंशा स्पष्ट है कि वह पारदर्शी तरीके से पंचायत चुनाव कराना चाहती है।"

दरअसल, पंचायत चुनाव में आरक्षण के रोटेशन को लेकर बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल समेत कई याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं। याचिका में आरोप लगाया गया था कि आरक्षण का निर्धारण तय नियमों के तहत नहीं किया गया है और राज्य सरकार की अधिसूचना स्पष्ट नहीं है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई की तिथि 23 जून निर्धारित की थी, लेकिन इससे पहले ही चुनाव प्रक्रिया पर अस्थायी रोक लगा दी गई।

राज्य निर्वाचन आयोग ने हाल ही में पंचायत चुनाव की घोषणा की थी। इसके तहत- मतदान की तिथि: 10 जुलाई,  मतगणना: 19 जुलाई,  नामांकन की शुरुआत: 25 जून, नामांकन की अंतिम तिथि: 28 जून, नामांकन पत्रों की जांच: 29 जून से 1 जुलाई और  चुनाव चिह्न आवंटन: 3 जुलाई को होने थे।  आयोग के अनुसार चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही आचार संहिता प्रभावी हो गई थी, लेकिन अब अदालत के आदेश के बाद यह पूरी प्रक्रिया ठहर गई है।

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