पाकिस्तान में एलपीजी ट्रक ड्राइवरों की अपहरण के बाद हत्या, बलूच विद्रोहियों पर शक

भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर संघर्षविराम (सीजफायर) लागू है और दोनों देशों की ओर से शांति बनाए रखने के प्रयास भी किए जा रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान के अंदरूनी हालात, खासकर बलूचिस्तान प्रांत, अब भी बेहद संवेदनशील बने हुए हैं। यहां सक्रिय अलगाववादी और उग्रवादी संगठन, विशेष रूप से बलूच विद्रोही गुट, लगातार सरकार और आम नागरिकों के खिलाफ हिंसक हमलों को अंजाम दे रहे हैं। हाल ही की एक बेहद गंभीर घटना में, पंजाब प्रांत के चार ट्रक ड्राइवरों को अगवा कर बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया है। इन ड्राइवरों की पहचान मोइन, हुजैफा, इमरान अली और इरफान अली के रूप में हुई है, जो क्रमशः पाकपट्टन और रहीम यार खान जिलों से संबंध रखते थे। रिपोर्टों के अनुसार, ये ड्राइवर 9 मई को ईरान से एलपीजी गैस लेकर पाकिस्तान लौट रहे थे, जब उन्हें क्वेटा से लगभग 100 किलोमीटर दूर अहमदवाल क्षेत्र में बलपूर्वक रोक लिया गया। 


बलूच विद्रोहियों ने पहले ट्रकों के टायरों पर फायरिंग करके उन्हें पंचर किया, फिर ड्राइवरों की पहचान की और उन्हें अगवा कर अपने साथ ले गए। घटना के कई दिनों बाद, मंगलवार को इन चारों ड्राइवरों के शव एक सुनसान इलाके से बरामद किए गए। स्थानीय निवासियों ने पुलिस को शवों के बारे में जानकारी दी, जिसके बाद उन्हें नोशकी जिला अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों की प्राथमिक रिपोर्ट में बताया गया है कि इन सभी को बेहद नजदीक से कई गोलियां मारी गई थीं। ऐसा प्रतीत होता है कि इनकी हत्या योजनाबद्ध तरीके से की गई, और निशाना सिर्फ उनकी पंजाबी पहचान के आधार पर बनाया गया। अब तक इस हमले की जिम्मेदारी किसी भी विद्रोही संगठन ने आधिकारिक रूप से नहीं ली है, लेकिन पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों का संदेह बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) जैसे चरमपंथी गुटों पर है, जो पहले भी इस तरह के टारगेटेड हमलों को अंजाम देते रहे हैं। 

इन संगठनों का दावा है कि पाकिस्तान ने बलूचिस्तान की जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है, और यहां के संसाधनों का दोहन किया जा रहा है जबकि स्थानीय लोगों को विकास और राजनीतिक भागीदारी से वंचित रखा गया है। बलूच विद्रोहियों का गुस्सा विशेष रूप से पंजाबी मूल के पाकिस्तानियों के खिलाफ देखा गया है, क्योंकि उनका मानना है कि पाकिस्तानी प्रशासन, सेना और राजनैतिक तंत्र में पंजाब का दबदबा है। इसी असंतोष के चलते वे बार-बार ऐसे हमले करते हैं जिनमें वे पंजाबी नागरिकों को ही निशाना बनाते हैं। इससे पहले भी बलूचिस्तान में हाईवे ब्लॉक कर लोगों की पहचान के आधार पर हत्याएं की गई हैं। यहां तक कि ट्रेनों में सफर कर रहे यात्रियों को भी अगवा कर उनकी जातीय पृष्ठभूमि की पुष्टि के बाद मार दिया गया। बलूचिस्तान में दशकों से अलगाववाद की भावना मौजूद रही है, जो समय-समय पर हिंसक रूप लेती रही है। विद्रोही गुट अपने लिए स्वतंत्र बलूच राष्ट्र की मांग करते हैं और पाकिस्तान सरकार को बाहरी ताकत करार देते हैं। यह क्षेत्र खनिज संसाधनों से भरपूर है, लेकिन यहां के लोग खुद को उपेक्षित और शोषित महसूस करते हैं।

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