चिन्मय कृष्ण दास की मुश्किलें बढ़ीं, बांग्लादेशी अदालत ने जारी किए चार नए गिरफ्तारी वारंट

बांग्लादेश में हिंदू नेता और इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की कानूनी परेशानियाँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। मंगलवार को चटगांव की एक अदालत ने उनके खिलाफ चार और मामलों में गिरफ्तारी का आदेश जारी किया। यह आदेश वर्चुअल सुनवाई के दौरान चटगांव मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एसएम अलाउद्दीन महमूद ने पारित किया। इसके एक दिन पहले ही अदालत ने चिन्मय कृष्ण दास के खिलाफ हत्या के एक मामले में भी गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। बांग्लादेश की सरकारी समाचार एजेंसी बीएसएस ने इस घटनाक्रम की जानकारी दी है।


चिन्मय कृष्ण दास को पहली बार 25 नवंबर 2023 को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से राजद्रोह के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने कथित तौर पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया, जो बांग्लादेश में एक गंभीर अपराध माना जाता है। गिरफ्तारी के बाद उन्होंने चटगांव की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत में जमानत की अर्जी दाखिल की थी, लेकिन अदालत ने उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

हाल ही में चिन्मय दास को राजद्रोह के मामले में जमानत मिल गई थी, लेकिन बांग्लादेश सरकार ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। सरकार का तर्क है कि चिन्मय दास की रिहाई से देश की कानून-व्यवस्था और सांप्रदायिक सद्भाव को खतरा हो सकता है। चिन्मय दास छह महीने तक जेल में बंद रहे और कई बार उनकी जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। विशेष रूप से 2 जनवरी को एक जमानत याचिका को अदालत ने सख्ती से खारिज कर दिया था।

चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के खिलाफ मुखर होने और अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठाने के लिए जाना जाता है। खासकर हाल के वर्षों में जब देश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव की घटनाएं बढ़ीं, तब चिन्मय दास ने सामाजिक और धार्मिक मंचों से लगातार सरकार की नीतियों की आलोचना की। उनकी इस सक्रियता को राजनीतिक और सांप्रदायिक दृष्टि से संवेदनशील माना गया और संभवतः यही कारण है कि उनके खिलाफ लगातार नए आरोप जोड़े जा रहे हैं।

चिन्मय दास के वकीलों का कहना है कि उनके मुवक्किल को एक सोची-समझी साजिश के तहत निशाना बनाया जा रहा है। उनका यह भी कहना है कि आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है और यह केवल राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा कि वे उच्च न्यायालय में इन आदेशों को चुनौती देंगे, इस मामले ने न केवल बांग्लादेश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता पैदा की है। कई मानवाधिकार संगठनों और धार्मिक संस्थाओं ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और उन पर दर्ज मामलों को धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों के हनन का प्रतीक बताया है।

For all the political updates download our Molitics App : Click here to Download
Article