कैश कांड में फंसे जस्टिस वर्मा! सुप्रीम कोर्ट समिति की रिपोर्ट में भ्रष्टाचार के सबूत, हटाने की सिफारिश

दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने और उसमें आग लगने की घटना की जांच कर रही सुप्रीम कोर्ट की समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के "पर्याप्त तथ्य" मौजूद हैं और उनके खिलाफ पद से हटाने की कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए। मार्च 2025 में जस्टिस वर्मा के 30 तुगलक क्रिसेंट स्थित सरकारी आवास में आग लगने की सूचना पर दिल्ली फायर सर्विस और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची थी। वहां जांच के दौरान स्टोर रूम में भारी मात्रा में नकदी देखी गई, जिनमें से कई नोट जले या आधे जले हुए थे। इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसके बाद यह मामला चर्चा में आया।


तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 22 मार्च को तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति गठित की थी। इसमें पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज अनु शिवरामन को शामिल किया गया था।

64 पन्नों की इस जांच रिपोर्ट में समिति ने उल्लेख किया है कि उन्होंने 10 दिनों में 55 गवाहों से पूछताछ की, जिनके बयान वीडियो रिकॉर्ड किए गए ताकि उनकी सत्यता को चुनौती न दी जा सके। समिति ने 14 मार्च की रात 11:35 बजे घटनास्थल का दौरा भी किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टोर रूम पूरी तरह से जस्टिस वर्मा के अधिकृत कब्जे में था और वहां तक केवल वे या उनके परिवार के सदस्य ही पहुंच सकते थे। नकदी की मात्रा इतनी अधिक थी कि बिना उनके मौन या सक्रिय सहयोग के वह वहां रखी नहीं जा सकती थी।

कमेटी के समक्ष प्रस्तुत एक गवाह ने बताया, “जैसे ही मैं अंदर गया, मैंने देखा कि दाहिनी ओर और सामने की ओर फर्श पर केवल 500 रुपये के नोटों का बड़ा ढेर पड़ा था। मैं जीवन में पहली बार इतनी नकदी देख रहा था।” कुल 10 गवाहों ने नोटों को जला हुआ या अधजला देखा जाने की पुष्टि की है। जांच में यह भी सामने आया कि जस्टिस वर्मा के निजी सचिव राजिंदर सिंह कार्की और उनकी बेटी दीया वर्मा ने कथित रूप से सबूतों को नष्ट करने और आग की जगह की सफाई कराने की कोशिश की थी। कार्की ने फायरमैन को रिपोर्ट में जली नकदी का उल्लेख न करने की सलाह दी थी, हालांकि उन्होंने इसका खंडन किया। लेकिन अन्य गवाहों और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों से इस बात की पुष्टि हुई कि वह रिपोर्ट से छेड़छाड़ के प्रयास में शामिल थे। 

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