
मोदी की यात्रा के बाद बदला रुख! कनाडा ने माना- खालिस्तानी तत्व दे रहे हैं हिंसा को अंजाम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 जून को कनाडा की 23 घंटे की यात्रा की, जहां उन्होंने G7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। वर्ष 2015 के बाद यह उनकी पहली कनाडा यात्रा थी। इस दौरे ने न केवल भारत-कनाडा संबंधों को नई दिशा दी, बल्कि खालिस्तानी गतिविधियों पर भी कनाडा की सरकारी सोच में बदलाव ला दिया। यात्रा के ठीक 24 घंटे बाद कनाडा सरकार ने आधिकारिक रूप से स्वीकार किया कि खालिस्तानी तत्व देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा हैं।
कनाडा की शीर्ष खुफिया एजेंसी कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा (CSIS) ने पहली बार सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया है कि खालिस्तानी तत्व कनाडा की धरती का उपयोग भारत को निशाना बनाने, हिंसा भड़काने, धन जुटाने और आतंकी योजनाएं बनाने के लिए कर रहे हैं। यह बयान भारत द्वारा वर्षों से उठाई जा रही चिंताओं की पुष्टि करता है।
भारत सरकार लंबे समय से कनाडा में पनप रही खालिस्तानी गतिविधियों पर चिंता जताती रही है। नई दिल्ली का स्पष्ट आरोप रहा है कि कनाडा भारत-विरोधी तत्वों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन चुका है। हालांकि, जस्टिन ट्रूडो की पिछली सरकार ने इन मुद्दों पर ढुलमुल रवैया अपनाया और गंभीर कार्रवाई से परहेज़ किया। यही कारण रहा कि भारत और कनाडा के रिश्तों में भारी तनाव देखने को मिला।
खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर ट्रूडो ने भारत पर आरोप लगाए, जिन्हें भारत ने सिरे से खारिज कर दिया था। लेकिन इन बयानों और खालिस्तान के प्रति नरमी ने अंततः ट्रूडो की राजनीतिक जमीन खिसका दी।
कनाडा की पुलिस ने हाल ही में 'प्रोजेक्ट पेलिकन' के तहत एक बड़े ड्रग और आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश किया, जिसके तार खालिस्तान समर्थकों से जुड़े थे। यह नेटवर्क अमेरिका और कनाडा के बीच ट्रकिंग रूट के माध्यम से ड्रग्स की तस्करी करता था। इससे अर्जित धन का उपयोग भारत विरोधी गतिविधियों जैसे हथियार खरीद, जनमत संग्रह और प्रदर्शन आयोजन के लिए किया जाता था। मार्क कार्नी के कनाडा के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत-कनाडा रिश्तों में सुधार देखने को मिला है। पीएम मोदी ने उनके साथ बैठक की, जिसमें दोनों नेताओं ने हाई कमिश्नर की नियुक्ति और रुकी हुई व्यापार वार्ता को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई। इसके साथ ही तकनीकी सहयोग, खाद्य सुरक्षा, डिजिटल परिवर्तन और खनिज संसाधनों जैसे विषयों पर भी व्यापक चर्चा हुई।
G7 सम्मेलन के दौरान हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर पूछे गए सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री कार्नी ने पुष्टि की कि उन्होंने पीएम मोदी से इस मुद्दे पर चर्चा की। उन्होंने कहा, “हमने कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सीधे सहयोग की आवश्यकता और अंतरराष्ट्रीय दमन के खिलाफ कार्रवाई की अहमियत पर बात की है।” हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चूंकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए इस पर सतर्कता बरतना ज़रूरी है।
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