ट्रंप ने दी ईरान पर हमले की मंजूरी, लेकिन अंतिम क्षणों में रोक दी कार्रवाई

ईरान और इज़राइल के बीच जारी सैन्य टकराव ने पूरे मध्य पूर्व को युद्ध के मुहाने पर खड़ा कर दिया है। एक ओर जहां इज़राइल ने ईरान के परमाणु और मिसाइल ठिकानों पर हमले तेज कर दिए हैं, वहीं दूसरी ओर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चुप्पी और अस्पष्ट प्रतिक्रियाएं अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता का कारण बन गई हैं। इस टकराव का भविष्य अब इस पर निर्भर करता है कि ट्रंप कूटनीति का रास्ता चुनते हैं या सैन्य कार्रवाई का।


डोनाल्ड ट्रंप ने वॉल स्ट्रीट जर्नल से बातचीत में स्वीकार किया कि उन्होंने ईरान पर सैन्य हमले की योजना को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है, लेकिन अंतिम आदेश देने से पहले वे यह देखना चाहते हैं कि तेहरान अपना परमाणु कार्यक्रम छोड़ता है या नहीं। पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, “मैं हमला कर सकता हूं, और नहीं भी कर सकता… कोई नहीं जानता मैं क्या करने वाला हूं।” ट्रंप ने दावा किया कि ईरान बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन यह भी जोड़ा कि “अब बहुत देर हो चुकी है।” इसी बीच जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के विदेश मंत्री जिनेवा में ईरानी विदेश मंत्री से मुलाकात कर रहे हैं ताकि यह भरोसा दिलाया जा सके कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण नागरिक उपयोग के लिए है।

इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शुक्रवार को एक वीडियो संदेश में कहा, “हम सुनियोजित तरीके से ईरान के परमाणु और मिसाइल इंफ्रास्ट्रक्चर को खत्म कर रहे हैं।” उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप को "इज़राइल का सच्चा मित्र" बताते हुए उनका आभार जताया और कहा कि वे लगातार संपर्क में हैं। इज़रायली सेना ने बताया कि ईरान से छोड़े गए ड्रोन को उत्तरी इज़राइल और जॉर्डन घाटी क्षेत्र में मार गिराया गया है। साथ ही, इज़रायली वायुसेना ने दावा किया कि उसने ईरान के पुलिस मुख्यालय को भी निशाना बनाकर नष्ट कर दिया है।

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई ने एक टेलीविजन संबोधन में अमेरिका को कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “यदि अमेरिका ने सैन्य हस्तक्षेप किया, तो उसे ऐसी अपूरणीय क्षति झेलनी पड़ेगी जो कभी पूरी नहीं हो सकेगी। ईरानी राष्ट्र कभी भी आत्मसमर्पण नहीं करेगा।”

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