विमान हादसे पर भावुक हुए उड्डयन मंत्री, बोले- "पीड़ितों का दर्द समझता हूँ, मैंने भी हादसे में अपने को खोया।
12 जून को अहमदाबाद में एयर इंडिया की उड़ान AI171, जो कि बोइंग 787-7 ड्रीमलाइनर विमान था, बेहद दुखद और भयावह दुर्घटना का शिकार हो गई। इस दर्दनाक हादसे में विमान में सवार कुल 241 यात्रियों की मृत्यु हो गई, जबकि केवल एक ही व्यक्ति बच पाया। इसके अलावा, जमीन पर इस दुर्घटना की चपेट में आने से 29 अन्य लोगों ने भी अपनी जान गंवाई। इस दुखद घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है और लोगों के दिलों में गहरा शोक उत्पन्न कर दिया है।
नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने इस दुर्घटना के बाद शुक्रवार को अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीड़ित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और एक मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि वे खुद इस तरह के दर्द को समझ सकते हैं क्योंकि उन्होंने भी अपने पिता को एक सड़क दुर्घटना में खोया है। उन्होंने अपनी निजी कहानी साझा करते हुए बताया कि उनके पिता, पूर्व केंद्रीय मंत्री किंजरापु येरन नायडू, 2 नवंबर 2012 को आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में एक सड़क हादसे में जान गंवा बैठे थे। उस हादसे में उनकी कार एक टैंकर से टकरा गई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
इस विमान दुर्घटना की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने तुरंत एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की है, जो इस दुर्घटना के कारणों का व्यापक और निष्पक्ष अध्ययन करेगी। इस समिति की अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव करेंगे, और इसमें राज्य और केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी भी शामिल होंगे। समिति को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
जांच समिति का काम केवल दुर्घटना के तकनीकी कारणों तक सीमित नहीं होगा, बल्कि यह मानवीय त्रुटियों, मौसम की परिस्थितियों, नियमों के सही पालन, विमानन सुरक्षा मानकों और अन्य संभावित पहलुओं की भी गहराई से समीक्षा करेगी। इसके माध्यम से हादसे के वास्तविक कारणों का पता लगाने का प्रयास किया जाएगा, ताकि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इस समिति से उम्मीद है कि वह न केवल दुर्घटना के कारणों का पता लगाएगी, बल्कि ऐसे नीतिगत सुधारों का भी सुझाव देगी जो विमानन सुरक्षा को मजबूत कर सकें। इनमें परिचालन प्रक्रियाओं में सुधार, पायलट और संबंधित कर्मियों के प्रशिक्षण में वृद्धि, आपातकालीन प्रबंधन के बेहतर उपाय और दुर्घटना के बाद राहत एवं बचाव कार्यों को प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक कदम शामिल होंगे।