मेरी बेटी प्लेन क्रैश की शिकार, अस्पताल में भर्ती, कुछ इंसानियत दिखाओ"- रेजिडेंट डॉक्टर अनिल की सिस्टम से गुहार

अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे में अब तक 274 लोगों की जान जाने की खबर है। यह दर्दनाक घटना बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल पर हुई, जहां कई रेजिडेंट डॉक्टर, छात्र और उनके परिवार के सदस्य अपनी जान गंवा चुके हैं। कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं और अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। इस हादसे ने ना केवल इंसानी जानों का बड़ा नुकसान किया है, बल्कि इसे संभालने में सिस्टम की असंवेदनशीलता भी सामने आई है, जिसने सभी को झकझोर कर रख दिया है। इस भयंकर हादसे के बाद रेजिडेंट डॉक्टर अनिल का मीडिया के सामने रोते हुए एक वीडियो वायरल हुआ है। वह भावुक होकर अपनी मजबूरी बताते हुए सिस्टम से थोड़ी इंसानियत की गुहार लगा रहे हैं। डॉक्टर अनिल ने बताया कि उनकी नन्हीं बेटी और घर की मेड इस हादसे में बाल-बाल बचीं, लेकिन वे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। इसके बावजूद, उन्हें हॉस्टल तुरंत खाली करने का आदेश दिया गया है, जो बेहद अमानवीय है। उन्होंने रोते हुए कहा, "मैं आपसे हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि हमें कम से कम दो-तीन दिन का समय दिया जाए। कल ही यह भयानक हादसा हुआ है और आज हमें सामान हटाने को कहा जा रहा है। 


यह हमारे लिए संभव नहीं है। मेरी बच्ची अस्पताल में भर्ती है। मुझे वहां होना चाहिए, लेकिन मैं यहां फंसा हुआ हूं।" डॉक्टर अनिल ने यह भी बताया कि हॉस्टल के हर कमरे में चार से पांच रेजिडेंट डॉक्टर रहते थे। हादसे के वक्त जो डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं थे, उनमें से कई अब इस दुनिया में नहीं हैं। उन्होंने कहा, "हमारे कुछ साथी हॉस्पिटल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। हमारी हालत समझने की कोशिश कीजिए। हमें रातों-रात सामान खाली करने को कहा जा रहा है, जबकि यह बिल्कुल भी आसान नहीं है।" अपनी पत्नी के साथ असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर काम कर रहे डॉक्टर अनिल ने बताया कि वह दोनों हादसे के वक्त ड्यूटी पर थे। उनकी बेटी और मेड हॉस्टल में थीं, जिन्हें गार्ड ने बचाया और एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया। वह बोले, "मैं चार साल से यहां रह रहा हूं। यह हमारा घर जैसा बन चुका है। अचानक से इसे खाली करना हमारे लिए मुश्किल है।" उन्होंने अंत में मीडिया और प्रशासन से अपील करते हुए कहा, "प्लीज, हमारी मजबूरी को समझिए। हम पहले से ही इस हादसे की पीड़ा झेल रहे हैं। हमारी मांग सिर्फ इतनी है कि हमें कुछ समय दिया जाए ताकि हम अपना सामान ठीक से निकाल सकें। 


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