ब्रिटिश लड़कियों को ‘सेक्स स्लेव’ बनाने के आरोप में मैनचेस्टर कोर्ट ने 7 दोषियों को सुनाई सजा

ब्रिटेन के मैनचेस्टर में शुक्रवार को वर्षों पुराने एक जटिल और संवेदनशील यौन शोषण मामले में सात पुरुषों को दोषी ठहराया गया। मैनचेस्टर मिनशुल स्ट्रीट क्राउन कोर्ट में जूरी ने इन दोषियों को, जो पाकिस्तानी मूल के थे, दो नाबालिग स्कूली लड़कियों के यौन उत्पीड़न के घिनौने अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया। यह मामला 2001 से 2006 के बीच रोचडेल में हुए एक कुख्यात यौन शोषण घोटाले से संबंधित है, जिसमें दो नाबालिग लड़कियों का शोषण किया गया। सरकारी वकीलों ने बताया कि दोनों लड़कियों की पारिवारिक स्थिति अस्थिर थी, जिसका फायदा उठाते हुए दोषियों ने उन्हें अपने जाल में फंसाया। इन लड़कियों को ड्रग्स, शराब, सिगरेट, रहने की जगह और खाने-पीने की चीज़ों के बदले बार-बार यौन शोषण का शिकार बनाया गया। इन नाबालिगों को गंदे फ्लैटों, सड़े हुए गद्दों, सुनसान गोदामों, और कार पार्क जैसे स्थानों पर दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। गर्ल ए ने बताया कि उसका फोन नंबर कई पुरुषों के साथ साझा किया गया, और लगभग 200 से अधिक पुरुषों ने उसका शोषण किया। उसने कहा कि इतने लोग थे कि उनकी गिनती करना भी मुश्किल था। 


गर्ल बी ने बताया कि वह एक आश्रय गृह में रह रही थी, जब उसे स्थानीय व्यापारियों ने अपने शोषण का शिकार बनाया। उसने यह भी बताया कि सामाजिक सेवाओं ने उसे "वेश्या" का लेबल दिया था। दोषियों में मोहम्मद जाहिद, मुश्ताक अहमद, और कासिर बशीर जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। मोहम्मद जाहिद ने अपनी लॉन्जरी की दुकान से लड़कियों को कपड़े और पैसे देकर फंसाया। मुश्ताक अहमद और कासिर बशीर ने गर्ल बी का शोषण किया। मोहम्मद शहजाद, नाहिम अकरम, और निसार हुसैन जैसे टैक्सी ड्राइवरों ने गर्ल ए के खिलाफ गंभीर अपराध किए। वहीं, रोहीज खान, जो पहले भी ऐसे अपराधों के लिए सजा काट चुका है, फिर से दोषी पाया गया। इस मामले ने ब्रिटेन में पुलिस और सामाजिक सेवाओं की विफलताओं को उजागर किया है। पुलिस और संबंधित एजेंसियां पीड़िताओं की शिकायतों को गंभीरता से नहीं ले पाईं, और इन अपराधों को रोकने में नाकाम रहीं।

 जातीयता और अपराध के संबंध में यह मामला बहस का कारण बना है। आँकड़े बताते हैं कि यौन शोषण के अधिकांश अपराधी श्वेत ब्रिटिश होते हैं। हालांकि, इस तरह के हाई-प्रोफाइल मामलों में पाकिस्तानी मूल के अपराधियों की अधिकता ने इसे संवेदनशील बना दिया है। पुलिस और सामाजिक सेवाओं ने अपनी विफलताओं के लिए माफी मांगी है और भविष्य में इस तरह के मामलों को रोकने के लिए नए कदम उठाए जा रहे हैं। 

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