असम में 171 फर्जी एनकाउंटर, सुप्रीम कोर्ट ने NHRC को निष्पक्ष जांच के आदेश दिए

असम में 171 कथित फर्जी एनकाउंटर की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को इन मामलों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करने का निर्देश दिया है। यह आदेश अधिवक्ता आरिफ यासीन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें उन्होंने गुवाहाटी हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें स्वतंत्र जांच की मांग खारिज कर दी गई थी।


जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि अगर पुलिस द्वारा की गई ये मुठभेड़ वास्तव में फर्जी साबित होती हैं, तो यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का स्पष्ट उल्लंघन है। पीठ ने कहा: “सार्वजनिक प्राधिकारियों द्वारा अत्यधिक और गैरकानूनी बल का प्रयोग किसी भी स्थिति में वैध नहीं ठहराया जा सकता।”

सुप्रीम कोर्ट ने NHRC को निर्देश दिया कि वह पीड़ितों और उनके परिजनों को भी जांच प्रक्रिया में शामिल करने के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी करे। साथ ही, आयोग को जांच के लिए सेवा में या सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों की मदद लेने की अनुमति दी गई है, बशर्ते कि वे किसी भी रूप से आरोपी पुलिसकर्मियों के संपर्क में न हों।

याचिकाकर्ता आरिफ यासीन ने मांग की थी कि जिन पुलिस अधिकारियों पर फर्जी एनकाउंटर के आरोप हैं, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। दूसरी ओर, असम सरकार का दावा है कि पिछले 10 वर्षों में हुए पुलिस एक्शनों में केवल 10 प्रतिशत मामलों में ही अपराधियों को चोटें आईं, और वे भी आत्मरक्षा में की गई कार्रवाइयां थीं। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मूल्यांकन किया जाना जरूरी है कि क्या इन मामलों में पूर्व में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एनकाउंटर मामलों के लिए निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन किया गया था या नहीं।

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