हीटवेव नियंत्रण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को नोटिस, गर्मी से बढ़ती मौतों पर चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने देश में बढ़ती हीटवेव और उससे होने वाली मौतों को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। यह आदेश पर्यावरण कार्यकर्ता विक्रांत तोंगड़ की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने गृह मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सहित संबंधित विभागों को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।


याचिकाकर्ता ने केंद्र से राष्ट्रीय स्तर पर हीटवेव प्रबंधन दिशा-निर्देश जारी करने और उनके प्रभावी कार्यान्वयन की मांग की है। याचिका में दलील दी गई है कि वर्ष 2023 में देशभर में 700 से अधिक लोगों की मौतें हीटवेव और उससे उत्पन्न तनाव (हीट स्ट्रेस) के कारण हुई थीं। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि मौजूदा पूर्वानुमानों के अनुसार इस साल हीटवेव की स्थिति और अधिक गंभीर रहने वाली है। अब हीटवेव का प्रभाव केवल उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह पूर्वी तट, दक्षिण-मध्य क्षेत्र और उत्तर-पूर्वी प्रायद्वीप तक फैल चुका है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रीय हीटवेव कार्य योजना-2019 पहले ही जारी की जा चुकी है, लेकिन कई राज्य सरकारों ने अब तक इसे लागू नहीं किया है। इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। याचिका में आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 35 का हवाला देते हुए कहा गया है कि केंद्र सरकार पर आपदाओं से बचाव हेतु समुचित और समयबद्ध उपाय करना उसकी कानूनी जिम्मेदारी है।

याचिकाकर्ता ने एक वैज्ञानिक अध्ययन का हवाला देते हुए यह भी चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के चलते हीटवेव की तीव्रता और अवधि दोनों में वृद्धि हो रही है, जिससे आने वाले वर्षों में गर्मी से मौतों की संख्या में  उल्लेखनीय वृद्धि  हो सकती है।

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