बस्तर में सुरक्षाबलों की बड़ी जीत: 30 माओवादी ढेर, डेढ़ करोड़ का इनामी बसवराजू मारा गया
छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच बीते 72 घंटों से एक बड़ा और निर्णायक ऑपरेशन चल रहा है, जिसमें अब तक 30 माओवादियों को मार गिराया गया है। इस अभियान को माओवादी आंदोलन के खिलाफ सुरक्षाबलों की एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। मारे गए माओवादियों में नक्सलियों का प्रमुख नेता नम्बाला केशव राव, जिसे बसवराजू या गगन्ना के नाम से भी जाना जाता था, प्रमुख है। इस कुख्यात माओवादी नेता पर 1.5 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था, और वह 1970 के दशक से माओवादी आंदोलन का मुख्य स्तंभ बना हुआ था।
बसवराजू की मौत माओवादी संगठन के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि वह पूरे देश में नक्सल संगठन के संचालन और उसकी रणनीति का मुख्य जिम्मेदार था। यह ऑपरेशन डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) के जवानों द्वारा अंजाम दिया गया, जिन्होंने अबूझमाड़ के घने जंगलों में नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की।
अबूझमाड़, जिसे नक्सलियों की अघोषित राजधानी माना जाता है, माओवादी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है। इस ऑपरेशन ने न केवल इस क्षेत्र में नक्सलियों की पकड़ को कमजोर किया है, बल्कि पूरे माओवादी आंदोलन के शीर्ष नेतृत्व को गहरा आघात पहुंचाया है।
मारे गए 30 माओवादियों में से कई केंद्रीय कमेटी (CC) के सदस्य बताए जा रहे हैं, जो माओवादी संगठन की उच्च स्तरीय रणनीति का हिस्सा थे। ऑपरेशन के दौरान एक जवान घायल हो गया, हालांकि उसकी स्थिति अब खतरे से बाहर है। दुर्भाग्यवश, इस मुठभेड़ में पुलिस बल का एक सहयोगी शहीद हो गया, जिसकी शहादत को पूरे देश में सराहा जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बसवराजू की भूमिका माओवादी आंदोलन में वैसी ही थी जैसी अल-कायदा में ओसामा बिन लादेन की या श्रीलंका के लिट्टे संगठन में प्रभाकरण की थी। जिस तरह अमेरिका ने एक गुप्त ऑपरेशन चलाकर पाकिस्तान के एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को खत्म किया था और श्रीलंका की सेना ने प्रभाकरण को समाप्त किया था, ठीक उसी तरह भारत ने इस ऑपरेशन के जरिए नक्सलवाद के शीर्ष नेतृत्व पर बड़ी चोट पहुंचाई है।
सुरक्षाबलों के लिए यह ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि अबूझमाड़ का इलाका नक्सलियों के लिए स्वर्ग समान है। घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ियों के कारण यह क्षेत्र लंबे समय से नक्सलियों का सुरक्षित गढ़ बना हुआ था। लेकिन इस ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया कि सुरक्षा बल नक्सलियों के हर सुरक्षित ठिकाने तक पहुंच सकते हैं।
इस कार्रवाई के साथ-साथ एंटी-नक्सल ऑपरेशन अभी भी जारी है। अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि यह अभियान तब तक नहीं रुकेगा जब तक क्षेत्र को नक्सल मुक्त घोषित नहीं कर दिया जाता।