यशवंत सिन्हा का भाजपा पर हमला: पहलगाम हमले और सीजफायर फैसले पर उठाए सवाल
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने हाल ही में दिए अपने बयान में पहलगाम आतंकी हमले के बाद पैदा हुई राजनीतिक परिस्थितियों का लाभ उठाने का आरोप भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर लगाया है। उन्होंने कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है जब भाजपा ने ऐसे संवेदनशील मुद्दों का इस्तेमाल अपनी चुनावी रणनीति के तहत किया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब पुलवामा हमला हुआ था, उस समय भी चुनाव नजदीक थे, और उस हमले के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक का भाजपा ने पूरी तरह से राजनीतिक लाभ उठाया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद पुलवामा के शहीदों के नाम पर लोगों से वोट मांगे थे, जो उन्होंने कई जनसभाओं में खुले तौर पर कहा था। अब पहलगाम हमले के बाद भाजपा तिरंगा यात्रा जैसे कार्यक्रम आयोजित करके खुद को देशभक्ति के केंद्र में स्थापित करने की कोशिश कर रही है।
सिन्हा ने अपने बयान में कपिल सिब्बल के साथ एक पॉडकास्ट में बातचीत करते हुए यह भी कहा कि भाजपा के नेता अब इस बात का दावा कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लिए अद्वितीय कार्य किए हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इस समय यह नहीं पूछा जाना चाहिए कि पहलगाम में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या का जिम्मेदार आखिर कौन है। कपिल सिब्बल ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि पहलगाम में सुरक्षा व्यवस्था क्यों विफल रही। यशवंत सिन्हा ने इस पर कहा कि पुलवामा हमले का आज तक खुलासा नहीं हुआ और पहलगाम हमले का भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिलेगा। उन्होंने पूछा कि जिस समय हमला हुआ, उस समय वहां सुरक्षा बल कहां थे, और अगर वे वहां थे, तो उनकी कोई खबर क्यों नहीं है।
इसके साथ ही, यशवंत सिन्हा ने सीजफायर के फैसले पर भी गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने बताया कि यह दावा किया जा रहा है कि भारतीय डीजीएमओ और पाकिस्तान के उनके समकक्ष के बीच बातचीत के दौरान पाकिस्तान ने सीजफायर के लिए अपील की थी। लेकिन इसके बावजूद, इस फैसले का ऐलान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से क्यों किया गया?
उन्होंने पूछा कि ट्रंप के बयान से पहले भारत सरकार ने खुद इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक इस मुद्दे पर खामोश क्यों हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह की चुप्पी और अस्पष्टता से देश के लोगों के बीच सवाल उठते हैं और यह जरूरी है कि सरकार इस तरह के संवेदनशील मुद्दों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे। सोशल मीडिया पर उनके इस बयान पर मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है। कुछ लोग उनके बयान का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कई अन्य लोग इसकी कड़ी आलोचना कर रहे हैं।