
राज ठाकरे के खिलाफ जनहित याचिका, सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई की मांग
महाराष्ट्र में हिंदी भाषी नागरिकों के खिलाफ कथित तौर पर नफरत फैलाने और हिंसा भड़काने के आरोप में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। यह याचिका वरिष्ठ वकील घनश्याम उपाध्याय ने दाखिल की है, जिसमें ठाकरे और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि ठाकरे द्वारा दिए गए भाषण और उनकी पार्टी की गतिविधियां भाषा के आधार पर नफरत फैलाने वाली हैं, जो संविधान के मूल मूल्यों और नागरिकों के अधिकारों के विरुद्ध हैं।
नितेश राणे ने राज ठाकरे को लेकर दिया बयान
इस बीच महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितेश राणे ने भी राज ठाकरे को समर्थन देने जैसे शब्दों में एक विवादास्पद बयान दिया। राणे ने कहा,
“नया नगर में कोई मराठी नहीं बोलता और वहां के लोग संविधान की जगह शरिया कानून लागू करना चाहते हैं। कोविड के दौरान उन्होंने न मास्क पहना, न वैक्सीन लगवाई। यह इलाका लव जिहाद का केंद्र बन गया है। अगर कोई मुस्लिम बीएमसी कमिश्नर बनता है, तो क्या मछुआरे और आम नागरिक सुरक्षित रहेंगे?”
उन्होंने दावा किया कि देश को "इस्लामिक राजधानी" बनने से रोकने के लिए हिंदुओं को एकजुट होना चाहिए और प्रधानमंत्री मोदी के एक हैं तो सुरक्षित हैं के संदेश का पालन करना चाहिए।
हिंदी भाषी नागरिकों पर हमले की घटनाएं
2025 में महाराष्ट्र के कई हिस्सों में हिंदी भाषी नागरिकों पर हमले की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें मराठी भाषा को लेकर असहिष्णुता मुख्य वजह मानी जा रही है।
मीरा रोड और ठाणे में हिंदी भाषी दुकानदारों और मज़दूरों को मराठी न बोलने पर निशाना बनाया गया।
मीरा-भायंदर में 'जोधपुर स्वीट्स एंड नमकीन' के मालिक बाबूलाल चौधरी पर MNS कार्यकर्ताओं ने कथित रूप से हमला किया। अप्रैल 2025 में दो युवतियों को सिर्फ "Excuse Me" कहने पर पीटा गया, जो एक भाषाई विवाद में तब्दील हो गया।
इन घटनाओं में व्यापारियों की दुकानों पर तोड़फोड़, मारपीट और गाली-गलौज जैसी गंभीर शिकायतें शामिल हैं।
महाराष्ट्र में मराठी भाषा को सांस्कृतिक पहचान का अहम हिस्सा माना जाता है। परंतु कुछ राजनीतिक संगठन — विशेषकर MNS और शिवसेना (UBT) — हिंदी और अंग्रेज़ी के बढ़ते प्रभाव को मराठी संस्कृति के लिए खतरा मानते हैं। यही कारण है कि भाषा की अस्मिता को लेकर समय-समय पर सामाजिक और राजनीतिक तनाव सामने आते रहे हैं।
For all the political updates download our Molitics App :
Click here to Download