
कांगो-रवांडा शांति समझौते पर ट्रंप बोले, सब कुछ कर लूं, फिर भी नोबेल नहीं मिलेगा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर नोबेल शांति पुरस्कार को लेकर बड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने दावा किया कि भारत-पाकिस्तान युद्ध को टालने, रूस-यूक्रेन संकट को संभालने और ईरान-इज़राइल तनाव को नियंत्रित करने जैसे वैश्विक प्रयासों के बावजूद उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रूथ’ पर एक पोस्ट में लिखा, "मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मैंने विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ मिलकर कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और रवांडा के बीच एक ऐतिहासिक शांति संधि करवाई है। यह संघर्ष दशकों से अफ्रीका के सबसे रक्तरंजित युद्धों में गिना जाता रहा है। आज का दिन अफ्रीका और दुनिया के लिए एक बड़ा दिन है।"
ट्रंप ने लिखा कि उन्होंने भले ही कई गंभीर अंतरराष्ट्रीय संकटों को सुलझाने में योगदान दिया हो, लेकिन उन्हें शांति के लिए नोबेल पुरस्कार नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा,
"मुझे भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रोकने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा, सर्बिया और कोसोवो में स्थिरता लाने के लिए नहीं मिलेगा, मिस्र और इथियोपिया के बीच तनाव कम करने के लिए भी नहीं मिलेगा।"
उन्होंने आगे लिखा, "मुझे मध्य पूर्व में अब्राहम समझौते के लिए भी यह सम्मान नहीं मिलेगा, जबकि यह क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल रही है। चाहे मैं कुछ भी करूं, रूस-यूक्रेन या ईरान-इज़राइल जैसे विवादों में जो भी भूमिका निभाऊं—मैं यह जानता हूं कि मुझे नोबेल पुरस्कार नहीं मिलेगा, लेकिन लोग सब जानते हैं और वही मेरे लिए मायने रखता है।"
ट्रंप के इस बयान के साथ ही पाकिस्तान सरकार ने उन्हें औपचारिक रूप से 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया है। पाकिस्तान सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर यह जानकारी साझा करते हुए कहा:
"भारत-पाकिस्तान संकट के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप की निर्णायक कूटनीतिक पहल और नेतृत्व की भूमिका को देखते हुए पाकिस्तान सरकार ने उन्हें 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया है।"
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