योगी के मंत्री का विवादित बयान: राजभर-पंडित को हथियार दो, पाकिस्तान में घुसकर मारेंगे आतंकवादी

उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर एक बार फिर अपने बयान को लेकर चर्चा में हैं। पहलगाम आतंकी हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने एक ऐसा बयान दिया है जिसे लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बहस छिड़ गई है। राजभर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पाकिस्तान को करारा जवाब देने के लिए सरकार को राजभर समुदाय के युवाओं को हथियार देने चाहिए। उन्होंने दावा किया कि राजभर जाति का इतिहास युद्ध और वीरता से भरा हुआ है, और मुगलों तथा अंग्रेजों के खिलाफ इस जाति ने संघर्ष किया था। उन्होंने यह भी कहा कि अंग्रेजों ने इसी कारण इस जाति को आपराधिक जातियों की श्रेणी में डाल दिया था।


 राजभर ने अपने बयान में यह भी जोड़ा कि अगर पंडित और राजभर जाति के लड़कों को सौ-सौ रुपये दे दिए जाएं, तो उनके व्यवहार में अंतर साफ दिखेगा। उन्होंने उदाहरण के रूप में कहा कि एक पंडित का लड़का मेले में जाकर मिठाइयाँ खाएगा, जबकि राजभर का लड़का नकली हथियार खरीदेगा और उसका अभ्यास करेगा। उन्होंने कहा कि अगर सरकार हथियार दे दे तो राजभर जाति के युवक पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादियों को मार सकते हैं। राजभर के इस बयान को कई लोग आपत्तिजनक और जातिगत भावना को भड़काने वाला मान रहे हैं। सोशल मीडिया पर यह बयान तेजी से फैल गया है और लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। 

 इसके अलावा ओमप्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी और उसके अध्यक्ष अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी दलितों के वोटों के लिए केवल दिखावा करती है और असल में उनके हितों की चिंता नहीं करती। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने कुछ ऐसे लोग तैयार किए हैं जो दिन भर सोते हैं और रात में पोस्टर लगाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी के कुछ समर्थक एक तरह की लाल कपड़े वाली टीम चलाते हैं जो बेबुनियादी बातें फैलाकर पार्टी को चर्चा में लाने की कोशिश करते हैं। राजभर ने समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाया कि वह सिर्फ नाटक और दिखावे की राजनीति करती है और उसका उद्देश्य केवल वोट बटोरना है, न कि समाज में कोई वास्तविक परिवर्तन लाना। उनके इस बयान को जहां कुछ लोग उनके बेबाकपन के रूप में देख रहे हैं, वहीं कई लोग इसे गैर-जिम्मेदार और असंवेदनशील करार दे रहे हैं। 

 इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि राजनीति में बयानबाज़ी किस हद तक जाती है और कैसे गंभीर राष्ट्रीय मुद्दों को भी जातीय और राजनीतिक चश्मे से देखा जाने लगता है। राजभर के बयान से राजनीतिक हलकों में हलचल है और इस पर आने वाले समय में और भी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल सकती हैं।

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