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जिला मुख्यालय एटा पर चुनाव उम्मीदवारों ने भरा नामांकन, सामाजिक मुद्दों के साथ उतरेंगे पार्टी प्रत्याशी

 09 Nov 2022

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए एटा जिला मुख्यालय पर सपा, बीजेपी, कांग्रेस के प्रत्याशियों ने निर्वाचन अधिकारी के समक्ष अपने अपने नामांकन दाखिल किए। इस अवसर पर एटा कलेक्ट्रेट परिसर में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद नज़र आई। नामांकन प्रक्रिया के दौरान कोरोना दिशानिर्देशों का भी पालन किया गया।

 

एटा जिले में तीसरे चरण में 20 फरवरी को होने वाले मतदान के लिए कई उम्मीदवारों ने अपने नामांकन कलेक्ट्रेट एटा पहुंचकर दाखिल किए। 

 

नामांकन करने वालों में प्रमुख रूप से समाजवादी पार्टी के अलीगंज विधान सभा से उम्मीदवार रामेश्वर सिंह यादव और उनके भाई जुगेंद्र सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी से एटा सदर सीट से दो-दो सेट में अपना नामांकन दाखिल किया। इसके साथ ही एटा सदर सीट से बीजेपी के उम्मीदवार और निवर्तमान विधायक विपिन वर्मा डेविड ने भी नामांकन दाखिल किया इसी बीच कांग्रेस की प्रत्याशी गुंजन मिश्रा ने भी एटा सदर सीट से अपना नामांकन दाखिल किया।

 

एटा सदर सीट से बीजेपी प्रत्याशी के रूप में नामांकन करने वाले निवर्तमान विधायक विपिन वर्मा डेविड ने कहा कि मैं विकास के नाम पर चुनाव मैदान में आया हू, बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकार ने बिना किसी भेदभाव के 'सबका साथ,सबका विकास' के तहत विकास कार्य कराए हैं। कोरोना काल में जब सपा वाले दिखाई भी नही दे रहे थे तो आपके इस बेटे ने लोगों को 'कच्चा एवं पक्का राशन' मुहैय्या करवाया और किसी को भी बिना अन्न के नही सोने दिया। पूर्ण विकास की परिभाषा को हम आगामी पांच साल में करके दिखाएंगे और शहर और गांव में सम्पूर्ण विकास किया जाएगा।

 

अलीगंज विधान सभा से सपा प्रत्याशी रामेश्वर सिंह यादव ने कहा कि हमने पर्चा जीतने के लिए ही भरा है और हमारी सरकार 300 सीटों से अधिक सींटे लाकर बनेगी। हम सपा द्वारा कराए गए विकास के मुद्दे पर और बीजेपी शासन में हो रहे अत्याचार, शराब माफिया, बलात्कार, बालू खनन, सट्टा आदि के मुद्दे पर इनके ख़िलाफ़ चुनाव लड़ेंगे। 

 

सपा के उम्मीदवार जुगेंद्र सिंह यादव ने इस अवसर पर सपा छोड़कर बसपा में शामिल करने वाले अजय यादव के उस बयान का जोरदार खंडन किया जिसमें उन्होंने एक बड़े सपा नेता को खलनायक कहकर संबोधित करते हुए कहा था कि उनके पैर छूते समय उस बड़े नेता ने अजय यादव को अपमानित किया। प्रोफेसर साहब ने तो केवल इतना कहा था कि 'जाओ अब टिकट फाइनल हो गई है जाकर पार्टी को चुनाव लड़ाओ'। 2017 में उनकी सबसे बड़ी गलती थी कि उन्होंने अजय यादव को सपा में शामिल करवाया था और अगर वो सपा में ना होते तो मैं चुनाव नही हारता, साथ ही इसके आलावा मेरे सामने कोई चुनौती नही है। उन्होंने कहा कि मेरा चुनाव जनता अपने हांथ में लेकर लड़ रही है और सपा सरकार बनने पर 300 यूनिट बिजली फ्री दी जाएगी, बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता मिलेगा, कन्याओं को कन्या विद्या धन मिलेगा, 20 लाख IT सेल की भर्तियां होंगी। हम विकास के नाम पर जनता के बीच में जा रहे हैं, सपा ने विकास किया है और विकास करेंगे। 'बीजेपी फीता काटने वाली पार्टी है, समाजवादी पार्टी विकास करने वाली पार्टी है।' 

 

'कुल मिलाकर एटा जिले का चुनावी समीकरण सपा और बीजेपी के बीच कांटे के मुकाबले का माना जा रहा है।'
 

दिलचस्प बात ये भी है कि 2017 में एटा जिले की 4 विधानसभाओं में जो सपा और बीजेपी के प्रत्याशी आमने सामने थे वही दोनों पार्टियों के प्रत्याशी इस बार भी आमने सामने है। फर्क सिर्फ इतना है कि सपा का इस बार 'महान दल और लोकदल' से समझौता हो चुका है और पिछले विधान सभा चुनाव में चाचा शिवपाल सिंह यादव ने भी सपा के खिलाफ उम्मीदवार को अपना समर्थन दिया था और स्वामी प्रसाद मौर्य पिछले चुनाव में बीजेपी में थे और इस बार वे सपा में हैं, जिससे समाजवादी और मजबूत हुई है।

 

कांग्रेस प्रत्याशी गुंजन मिश्रा ने कहा कि मैं चुनाव खुद लड़कर पार्टी को मजबूत कर रही हूँ। मेरे मुद्दे शिक्षा, बेटियों की सुरक्षा, रेलवे विस्तार और बेरोजगारी होगी और मेरी लड़ाई किसी से नही है।

 

इस दौरान पुलिस ने कलेक्ट्रेट परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया था और नामांकन प्रक्रिया में एक प्रत्याशी के साथ उसके दो प्रस्तावक ही कमरे के अंदर जाने दिए जा रहे थे इस दौरान कोरोना दिशानिर्देशों का पालन कराया जा रहा था। ऐसे में दोनों ही पार्टियां सपा और बीजेपी अपनी अपनी जीत के दावे कर रही हैं। अब देखना यह कि 10 मार्च को उत्तर प्रदेश की जनता की पार्टी को विजय तिलक लगा कर सरकार बनाती है।



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