Article

लद्दाख को फिर किया गया नज़रअंदाज़, विरोध में बोले नेता - धोखा देकर कैसे होगा "सबका साथ - सबका विकास"

 11 Jul 2021

साल 2019 में मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया। इसके साथ ही गृहमंत्री अमित शाह ने रिऑर्गेनाइज़ेशन बिल भी पेश किया जिसे दोनों सदनों ने पारित किया। जम्मू, कश्मीर और लद्दाख तीन केंद्रशासित प्रदेश बनाए गए। शिया मुसलमानों की बहुलता वाले कारगिल क्षेत्र में सरकार के इस फ़ैसले का विरोध हुआ जबकि वहाँ मौजूद बौद्ध समुदाय ने इस फ़ैसले का समर्थन किया। लेकिन अब जब मोदी सरकार ने कैबिनेट विस्तार किया है तो बौद्ध समुदाय के लोग निराश दिख रहे हैं।

 

रिंचेन नामग्याल नाम के एक फ़ेसबुक यूज़र ने मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार पर लिखा कि इस बार मोदी जी ने ज़्यादातर धर्मों और जातियों को शामिल करने का काम किया है लेकिन लद्दाख के सांसद जम्यांग सेरिंग नामग्याल को छोड़ दिया गया। 2014 के बाद ये दूसरा मौक़ा है जब लद्दाख को मोदी जी ने लगातार नज़रअंदाज़ किया है। वो बी तब जब 2014 में ऐतिहासिक पोलो ग्राउंड पर तत्कालीन सांसद कागा ठुप्सटान चेवांग को मंत्री पद देना का वायदा किया गया था।

 

ग़ौरतलब है कि हाल ही में हुए कैबिनेट विस्तार में 43 नेताओं ने कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ लिया, जिसमें 36 नए चेहरे थे तो 7 राज्यमंत्रियों को प्रमोट करके कैबिनेट मंत्री बनाया गया। कैबिनेट विस्तार के बाद मंत्रीमंडल में ओबीसी के 27, अनु. जाति के 12 और अनु. जनजाति के 8 नेताओं को प्रतिनिधित्व मिला।

 

कैबिनेट विस्तार में अगर बात बौद्धों की करें तो इनकी हालत अन्य अल्पसंख्यकों से बेहतर है। किरण रिजिजु और रामदास अठावले बोद्ध समुदाय से कैबिनेट में शामिल मंत्री हैं। हालाँकि लद्दाख के नेताओं द्वारा मंत्रीमंडल में लद्दाख के सांसद को शामिल न किए जाने का विरोध किया जा रहा है। विरोध करने वाले नेताओं का कहना है कि रामदास अठावले को NDA कोटा के तहत मंत्रीपद मिला है और वो एक परिवर्तित बौद्ध हैं।

सिक्किम, लद्दाख औऱ दार्जिलिंग में बौद्धों की सर्वाधिक जनसंख्या रहती है, लेकिन इस क्षेत्र से बौद्ध नेता को मंत्रीमंडल में जगह नहीं दी गई है। वैसे भी, लद्दाख अपनी भौगोलिक स्थिति (चीन के साथ लगती सीमा) के कारण महत्वपूर्ण है। विरोध करने वाले नेताओं का कहना है कि लद्दाख से जुड़े किसी बौद्ध नेता को अगर मंत्रीमंडल में जगह दी जाती, तो वहाँ के लोगों का विश्वास और अधिक जीत पाते, और इस प्रकार चीन को एक तरह का संदेश दिया जा सकता था।