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‘संविधान का हो रहा उल्लंघन’, लोकसभा में डिप्टी स्पीकर चुनाव की मांग को लेकर खड़गे ने पीएम को घेरा
10 Jun 2025

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक औपचारिक पत्र लिखकर लोकसभा में डिप्टी स्पीकर (उपसभापति) के लंबे समय से खाली पद को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने इसे संवैधानिक परंपराओं और संसदीय गरिमा के प्रतिकूल बताया।
अपने पत्र में खड़गे ने कहा, “माननीय प्रधानमंत्री, मैं आपका ध्यान भारतीय संसद की एक अत्यंत गंभीर और संवेदनशील स्थिति की ओर आकर्षित करना चाहता हूं, जो न केवल हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली की भावना के विपरीत है, बल्कि संविधान की अवहेलना भी प्रतीत होती है। मैं लोकसभा में डिप्टी स्पीकर के लंबे समय से रिक्त पड़े पद की बात कर रहा हूं।”
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 93 के तहत यह अनिवार्य है कि लोकसभा अपने दो सदस्यों को क्रमशः अध्यक्ष (स्पीकर) और उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) के रूप में निर्वाचित करे। डिप्टी स्पीकर को लोकसभा का दूसरा सर्वोच्च पीठासीन अधिकारी माना जाता है, जो सदन के सुचारू संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खड़गे ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि यह पहली बार है कि लगातार दो लोकसभा कार्यकालों—सत्रहवीं और अब प्रारंभ हो रही अठारहवीं लोकसभा—में डिप्टी स्पीकर का चुनाव नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, “यह भारत के संसदीय इतिहास में एक अभूतपूर्व और चिंताजनक स्थिति है। स्वतंत्र भारत की अब तक की सभी लोकसभाओं में डिप्टी स्पीकर का चुनाव समय पर किया गया, और प्रथा रही है कि यह पद आमतौर पर विपक्षी दल के सदस्य को दिया जाता है, जिससे लोकतंत्र की विविधता और संतुलन सुनिश्चित हो सके।”
कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि परंपरा के अनुसार डिप्टी स्पीकर का चुनाव आमतौर पर लोकसभा के तीसरे सत्र में होता है, जिसकी तिथि स्वयं स्पीकर द्वारा तय की जाती है। हालांकि, सत्रहवीं लोकसभा में ऐसा कोई चुनाव नहीं हुआ और अब जब अठारहवीं लोकसभा का गठन हो चुका है, तब भी इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई है।
उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील करते हुए कहा, “मैं आपसे आग्रह करता हूं कि संविधान की भावना, संसदीय परंपराओं और लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करते हुए डिप्टी स्पीकर के चुनाव की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से प्रारंभ करवाएं, ताकि जनता का संसद पर विश्वास और हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा बनी रहे।”