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हिन्दू-मुस्लिम एकता को देखते ही सुरेश चव्हाणके को हो जाता है अपच, ‘सांप्रदायिक उल्टी' इनका पेशा
24 Sep 2020
भारतीय स्वतंत्रता के सिपाही, सुधारवादी नेता व हिन्दी के पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी कहा करते थे कि मीडिया का असली काम ही सत्ता से सवाल पूछना है। अगर वह सवाल ही नहीं पूछेगा तो उसके अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लग जाते हैं। ये बात उन्होंने करीब 100 साल पहले कही थी, आज मीडिया सवाल तो पूछती है लेकिन सत्ता पक्ष से नही बल्कि सत्ता से सवाल पूछने वालो से। आवाज तो उठाती है पर किसी अन्याय के खिलाफ नहीं बल्कि न्याय के खिलाफ ही। लोगों के भीतर धर्मिक नफरत फैलाने में हमारी मीडिया नंबर वन पहुंच गई है। इसके कोई एक मामले नहीं बल्कि हजारों मामले मिल जाएंगे।
इस समय सुदर्शन न्यूज व उसके प्रमुख सुरेश चव्हाणके चर्चा में हैं। सुरेश खुद को पत्रकार जरूर कहते हैं लेकिन इनकी कार्यशैली व भाषा इन्हें कभी भी पत्रकारिता की श्रेणी में नहीं ला सकी। सुरेश चव्हणके का पसंदीदा विषय ‘जिहाद’ है। कभी लव जिहाद, कभी धर्म जिहाद तो कभी यूपीएससी जिहाद व नौकरशाही जिहाद पर कार्यक्रम करते हैं। इस समय यूपीएससी में मुस्लिम युवाओं के चयन को लेकर सवाल उठाया है।
सुरेश चव्हाणके ने परीक्षा व्यवस्था पर सांप्रदायिक आधार पर चयन को लेकर सवाल उठाया है, सुरेश इसपर बड़े खुलासे की बात करते हैं। वह कहते हैं कि आखिर मुसलमान IAS/IPS में कैसे आगे बढ़ गए? आखिर कैसे उन्हें सबसे ज्यादा नंबर मिल गया? सुरेश के इस वीडियो का प्रोमो आने के बाद ही विरोध शुरु हो गया। कहा गया इस आदमी को अनपढ़ मुसलमानों से भी दिक्कत है और अब पढ़े लिखे मुसलमानों से भी शुरु हो गई है।
असल में सुरेश के चैनल की मंशा ही नफरत फैलाने की रही है, समाजिक मुद्दो से कभी भी इनका कोई सरोकार नहीं रहा है। कहा जाता है कि इस जहरीले चैनल के पीछे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का हाथ है, पीएम मोदी, अमित शाह व सीएम योगी का हाथ चव्हणके के सिर पर है इसलिए इतनी नफरत फैलाने के बाद भी किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई।
यूपीएससी परीक्षा की चयन प्रक्रिया पर सांप्रदायिकता का आरोप लगाया सीधे तौर पर देशद्रोह है, देश की नंबर 1 यूनिवर्सिटी जामिया मीलिया को आतंक का अड्डा बताना देशद्रोह है, कार्यपालिका पर धर्म के आधार पर काम करने का आरोप लगाया देशद्रोह है लेकिन ये किसी और के लिए होगा, सुरेश चव्हाणके पर ये सारे कानून प्रभावी नहीं हैं। अगर यही सुरेश का नाम ‘शाकिर खान’ होता और चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाता तो उसे कब का सलाखों के पीछे कर दिया गया होता।
ऐसा लगता है कि सुदर्शन टीवी ने ये संकल्प कर लिया है कि जब तक देश की अखंडता को तोड़ेंगे नहीं तब तक चुप नहीं बैठेंगे। करीब दर्जनों बार अपनी गलत रिपोर्टिंग के लिए जलील हो चुके सुरेश चव्हणके अपनी गलतियों से भी सीख लेते नहीं दिखाई देते। सोशल मीडिया पर चंद हिन्दी शब्दों में ही दर्शनों गलतियां करने वाले चव्हणके को लेकर लोगों में गुस्सा है। IPS एसोसिएशन ने भी आपत्ति जताई है।
बहरहाल सुदर्शन न्यूज व सुरेश चव्हाणके पर सत्ताधारियों का हाथ है। उसे नफरत फैलाने के लिए ही शुरु किया गया है। जिस दिन मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलना बंद कर देगा उस दिन ये चैनल अपंग हो जाएगा। एक आखिरी बात, सुरेश मुसलमानों को ‘कठमुल्ला’ कहते हैं, फिर खुद को पत्रकार कहते हैं। दोनों में कितना विरोधाभास है ये अब आपको समझना है।
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