दिल्ली में सरकार बनाने का फैसला शनिवार को होगा और दोनों प्रमुख दल, भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप), अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। इस दौरान, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि भाजपा उनके पार्टी के नेताओं को फोन करके उनके समर्थन का प्रस्ताव दे रही है। इस पर भाजपा ने केजरीवाल से अपना बयान वापस लेने को कहा है और चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया, तो उन्हें कानूनी नोटिस का सामना करना पड़ेगा।
वहीं, कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने केजरीवाल के बयान पर सवाल उठाते हुए प्रतिक्रिया दी है।
दीक्षित ने एएनआई से बातचीत करते हुए कहा कि केजरीवाल के दावों का कोई ठोस आधार नहीं होता और उनके आरोप अक्सर बिना किसी प्रमाण के होते हैं। उन्होंने कहा, "इनके रहस्य अब मजाक बन गए हैं। क्या केजरीवाल यह जानते हैं कि कौन विधायक फोन पर बात कर रहा है? कल ही यह पता चलेगा कि कौन विधायक आया है। अगर किसी पार्टी को विधायकों को जोड़ने के लिए पैसे देने हैं, तो वह फोन करेगी, लेकिन सवाल यह है कि फोन करने की जरूरत क्या है?"
दीक्षित ने आगे कहा, "अगर केजरीवाल अपने दावे में सही हैं और उनकी पार्टी को 55-60 सीटें आ रही हैं, तो भाजपा के फोन करने का क्या मतलब है? भाजपा को 45-50 सीटें मिल रही हैं, तो फिर भी फोन करने का कोई तात्पर्य नहीं है। अगर कांग्रेस 40 सीटों पर विजय प्राप्त कर रही है, तो भी फोन करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तो, आखिरकार, फोन करने का क्या मतलब है?"
संदीप दीक्षित ने केजरीवाल के बयान को मानसिक दबाव और हताशा का नतीजा बताते हुए कहा कि अगर एग्जिट पोल में आने वाले नतीजों पर विश्वास नहीं है, तो इस पर किसी भी तरह की टिप्पणी की जा सकती है।
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि विधायकों को सतर्क रखना और उन्हें सुरक्षित रखना एक उचित कदम है, लेकिन यह बात अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं है। दीक्षित ने यह भी याद दिलाया कि केजरीवाल ने पहले यमुना में जहरीले पानी का आरोप लगाया था, लेकिन कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया। उन्होंने यह कहा, "एक व्यक्ति जो दस साल तक मुख्यमंत्री रह चुका हो, उसे इस तरह के बयानों से बचना चाहिए। यह शोभा नहीं देता है।"
दीक्षित ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि केजरीवाल और उनकी पार्टी को अब शांतिपूर्वक चुनाव परिणाम का इंतजार करना चाहिए और कोई बेबुनियाद आरोप नहीं लगाना चाहिए।
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