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"कांग्रेस ने इमरजेंसी में विचारों की स्वतंत्रता को कुचला", पीएम मोदी ने देवानंद का उदाहरण दिया

 12 Nov 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जिन लोगों को जातिवाद का जहर फैलाने का नया शौक लगा है, वे यह भूल जाते हैं कि हमारे देश के आदिवासी समाज के लोग लंबे समय तक उपेक्षित रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब हम आदिवासी समाज की बारीकियों को समझते हैं, तो दिल दहलाने वाली स्थितियां सामने आती हैं। राष्ट्रपति ने इस समाज को निकट से जाना है और उनकी भलाई के लिए कई योजनाओं का प्रयास किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने उदाहरण देते हुए बताया कि आदिवासी समाज के लिए पीएम जनधन योजना के तहत 24,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, ताकि वे समाज की मुख्यधारा में बराबरी पर आ सकें।


प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि देश के अलग-अलग क्षेत्रों में ऐसे कई इलाके हैं, जहां अभी भी पिछड़ापन है, जैसे सीमावर्ती गांव। हमने तय किया कि ऐसे गांवों को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा, "जहां सूरज की पहली किरण और आखिरी किरण जाती है, उन गांवों को 'प्रथम गांव' का दर्जा दिया गया और इन गांवों के लिए विशेष योजनाएं बनाई गईं।" उन्होंने बताया कि सरकार ने इन गांवों के प्रधानों को 26 जनवरी और 15 अगस्त जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर सम्मानित किया और उनकी समस्याओं को समझने के लिए मंत्रियों को इन गांवों में भेजा।

प्रधानमंत्री मोदी ने वाइब्रेंट विलेज योजना का उल्लेख किया, जो न केवल विकास के लिए, बल्कि सीमा सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जी ने गणतंत्र के 75 वर्षों के अवसर पर संविधान निर्माताओं से प्रेरणा लेने का आह्वान किया, और हम उसी से प्रेरित होकर आगे बढ़ रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग यूसीसी (यूनिफॉर्म सिविल कोड) पर सवाल उठाते हैं, लेकिन अगर वे संविधान सभा की डिबेट पढ़ें, तो उन्हें पता चलेगा कि हम संविधान निर्माताओं की भावना पर ही चल रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि आजादी के तुरंत बाद, जब चुनी हुई सरकार नहीं थी, तब एक विशेष वर्ग ने संविधान में संशोधन कर दिया और फ्रीडम ऑफ स्पीच को दबाने की कोशिश की। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि नेहरू जी ने मुंबई में मजदूरों की हड़ताल के दौरान मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी को जेल भेज दिया था और लता मंगेशकर के भाई हृदयनाथ मंगेशकर को आकाशवाणी से बाहर कर दिया था। पीएम मोदी ने कहा कि यह संविधान की भावना का पूर्ण अनादर था और देश ने आपातकाल का भी कड़ा दौर देखा, जब देवानंद की फिल्मों को बैन कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने इमरजेंसी का समर्थन नहीं किया था।

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