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Delhi Polls: दंगा प्रभावित क्षेत्रों में मतदान रहा उच्च, मुस्लिम इलाकों में दिखा वोटिंग का बंटवारा

 14 Nov 2025

दिल्ली विधानसभा चुनाव में 60.44 फीसदी मतदान हुआ, लेकिन इस बार का उत्साह पिछली बार की तुलना में कम दिखा। 2020 के विधानसभा चुनाव में जहां 62.59 फीसदी मतदान हुआ था, वहीं इस बार दो फीसदी कम वोटिंग दर्ज की गई, हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव की तुलना में यह 1.8 फीसदी अधिक है। दंगा प्रभावित इलाकों में मतदान अच्छा रहा, खासकर मुस्लिम बहुल सीटों पर। दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाकों, जिनमें 2020 में हिंसा का सामना करना पड़ा था, में उच्च मतदान दर रही। मुस्तफाबाद में 69 फीसदी और सीलमपुर में 68.7 फीसदी मतदान हुआ। इन सीटों पर मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में मतदान के लिए पहुंचे। इन क्षेत्रों में मतदाताओं ने एकजुट होकर अपनी आवाज़ उठाई और मतदान प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी दिखाई।


मुस्लिम बहुल इलाकों में बिखरे वोट


इस बार मुस्लिम बहुल इलाकों में मुस्लिम मतदाताओं के वोट विभिन्न दलों में बंटते हुए देखे गए। मुस्तफाबाद और ओखला सीट पर मुस्लिम वोट AIMIM और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच बंट गए। इस विभाजन ने AAP और कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा की हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों में मुस्लिम समुदाय के वोट परंपरागत रूप से इन पार्टियों को मिलते थे। दिल्ली के मुस्लिम समुदाय के बीच आम आदमी पार्टी के प्रति नाराजगी साफ नजर आई। COVID-19 के दौरान तब्लीगी जमात से जुड़े विवाद और दिल्ली दंगों पर केजरीवाल सरकार का रुख मुस्लिम मतदाताओं को खटका। इन मुद्दों ने मुस्लिम मतदाताओं को कांग्रेस और AIMIM के पक्ष में वोट देने के लिए प्रेरित किया, जिससे AAP को नुकसान हुआ।

मुसलमानों के वोट बिखरने का फायदा बीजेपी को होता दिख रहा है, क्योंकि मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंदू वोटर्स एकजुट होकर बीजेपी के पक्ष में दिखे। इससे बीजेपी के लिए मुश्किल सीटों पर भी जीत की संभावना बढ़ गई। इस चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं ने अपनी वोटिंग च्वॉइसेस को लेकर अधिक मुखर रुख अपनाया। पहले से एकजुट वोट बैंक के रूप में पहचान रखने वाले मुस्लिम मतदाता इस बार विभाजित नजर आए, और इसका सीधा असर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की चुनावी रणनीतियों पर पड़ा।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाता इस बार केजरीवाल और आम आदमी पार्टी से नाराज थे, जिसका असर साफ नजर आया। हालांकि, दंगा प्रभावित इलाकों में उच्च मतदान दर से यह संकेत भी मिला कि वहां के लोग लोकतंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाने में पीछे नहीं हटे।

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