फिलिस्तीन के चरमपंथी संगठन हमास की सैन्य शाखा के प्रमुख मोहम्मद दीफ की मौत की आधिकारिक पुष्टि हो गई है, जिसके बाद इस मुद्दे पर महीनों से चल रही अटकलों का अंत हो गया है। हमास ने गुरुवार को दीफ की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि इजरायल ने छह महीने पहले ही उसकी मौत की घोषणा कर दी थी। हालांकि, हमास की ओर से अब यह बयान जारी किया गया है, जिससे इस बारे में कोई भी शंका दूर हो गई है। इजरायली सेना ने पिछले साल अगस्त में दावा किया था कि एक महीने पहले दक्षिणी गाजा में हुए हवाई हमले में दीफ मारा गया था। हमास के इस बयान से दीफ की मौत को लेकर सभी आशंकाओं और बहसों पर विराम लग गया।
हमास के ब्रिगेड प्रवक्ता अबू ओबेदा ने यह भी पुष्टि की कि दीफ के अलावा, अल-कस्साम के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ मारवान इस्सा की भी हत्या की गई है।
ओबेदा ने कहा, "हमारे दो बड़े नेताओं को मारने के बावजूद, उनकी विरासत और उनका प्रतिरोध कभी खत्म नहीं होगा। हम यह समझते हैं कि इजरायल के इस कदम से फिलिस्तीनी प्रतिरोध की शक्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा।" उनका यह बयान इस बात को रेखांकित करता है कि हमास के सैन्य नेताओं की हत्या फिलिस्तीनी प्रतिरोध की दिशा में कोई बदलाव नहीं लाएगी।
मोहम्मद दीफ, जो हमास के लिए बेहद महत्वपूर्ण शख्सियत थे, इजरायल पर 7 अक्टूबर को किए गए हमले के मुख्य साजिशकर्ता थे। इस हमले के कारण गाजा में युद्ध छिड़ गया था, और यह घटना एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गई थी। दीफ कई वर्षों तक इजरायल के मोस्ट वांटेड आतंकियों की लिस्ट में सबसे ऊपर रहा, और इजरायल की सुरक्षा एजेंसियों के लिए उसे पकड़ना एक बड़ी चुनौती बनी हुई थी।
हमास द्वारा दीफ की मौत की पुष्टि के साथ ही, संघर्ष-विराम समझौते के तहत बंधक बनाए गए लोगों की रिहाई का सिलसिला भी जारी है। हमास ने इस समझौते के तहत 8 और इजरायली बंधकों को रिहा किया है। इसके बदले में, इजरायल ने भी 110 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करना शुरू किया है, जिनमें से 30 ऐसे कैदी हैं जो इजरायलियों पर घातक हमलों के आरोप में उम्रभर की सजा काट रहे हैं। रिहा किए गए इन कैदियों में से कुछ को पश्चिमी तट पर लौटने की अनुमति दी गई है, जबकि गंभीर अपराधों में दोषी ठहराए गए लोगों को मिस्र में स्थानांतरित किया जा रहा है। यह रिहाई दोनों पक्षों के बीच हुए संघर्ष-विराम समझौते का हिस्सा है, जो 19 फरवरी से प्रभावी हुआ था, और यह बंधकों और कैदियों के बीच तीसरी अदला-बदली है।
इस बंधक अदला-बदली के दौरान, दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ घातक हमलों और संघर्ष के बावजूद समझौते की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, हालांकि यह तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। फिलिस्तीनी समुदाय और इजरायल के बीच शांति की प्रक्रिया और संघर्ष-विराम समझौतों के बावजूद, युद्ध और हिंसा की संभावना अभी भी मौजूद है।
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