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कांग्रेस नेता सनी जोसेफ ने जंगली सूअरों को दफनाने के बजाय ‘पकाने’ का कानून बनाने की दी सलाह

 02 Dec 2025

कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक सनी जोसेफ ने हाल ही में जंगली सूअरों को लेकर एक चौंकाने वाली टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने सुझाव दिया कि उन्हें केरोसिन डालकर दफनाने के बजाय, नारियल तेल में पकाने के लिए एक कानून बनाना चाहिए। पेरावूर से विधायक जोसेफ का कहना था कि यदि कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) सत्ता में आता है, तो वह जंगली सूअरों के मांस को पकाने की अनुमति देने के लिए एक विशेष कानून बनाएगा। जोसेफ के इस बयान ने एक नए विवाद को जन्म दिया है, क्योंकि यह विषय वन्यजीवों और उनके संरक्षण से जुड़ा हुआ है। संदीप जोसेफ ने यह बयान 'मलयोरा समारा यात्रा' विरोध मार्च के दौरान दिया, जो यूडीएफ द्वारा आयोजित किया गया था। यह मार्च किसानों को जंगली सूअरों से हो रहे नुकसान और उनके द्वारा सामना की जा रही वित्तीय समस्याओं को उजागर करने के लिए था। यह विरोध मार्च कोट्टियूर में आयोजित एक बैठक में हुआ, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता, जैसे विपक्ष के नेता वीडी सतीशन और केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष के. सुधाकरन, भी मौजूद थे।


 जोसेफ ने इस मौके पर जंगली सूअरों से संबंधित वर्तमान सरकारी नियमों की कड़ी आलोचना की। उनके अनुसार, वर्तमान में जंगली सूअरों को मारने के बाद, यदि कोई किसान या व्यक्ति उन्हें मारे, तो उस सूअर पर मिट्टी का तेल डाला जाता है और उसे दफन कर दिया जाता है। जोसेफ ने कहा, "यह प्रक्रिया पूरी तरह से अव्यावहारिक और कष्टकारी है। जंगली सूअर को मारने के लिए लाइसेंसी आग्नेयास्त्र की आवश्यकता होती है, लेकिन कोट्टियूर पंचायत में सिर्फ एक ही व्यक्ति के पास लाइसेंसी हथियार है। ऐसे में किसान अपनी फसलों को जंगली सूअरों से कैसे बचा सकते हैं?" उन्होंने आगे कहा, "अगर जंगली सूअर मारा जाता है, तो उसे मिट्टी का तेल डालकर दफनाने के बजाय, क्यों न उसे नारियल तेल में पकाया जाए?" 

इस बयान में जोसेफ ने इस मुद्दे को लेकर अपनी राय जाहिर की, और यह भी कहा कि यह मुद्दा केवल किसानों की परेशानियों से जुड़ा नहीं, बल्कि वन्यजीवों और उनके संरक्षण से भी संबंधित है। यह बयान तब आया जब यूडीएफ द्वारा जंगली सूअरों के हमलों और केरल के पहाड़ी क्षेत्रों में किसानों को हो रही वित्तीय समस्याओं पर चिंता जताने के लिए यह विरोध मार्च आयोजित किया गया था। जोसेफ के इस बयान के बाद, यह विवाद और भी तेज हो गया है, क्योंकि यह वन्यजीव संरक्षण से संबंधित संवेदनशील मुद्दा है और इसके प्रभाव के बारे में स्थानीय लोग और पर्यावरण विशेषज्ञ भी चिंतित हैं।

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