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भारत ने कनाडा की रिपोर्ट को किया खारिज, चुनावों में हस्तक्षेप के आरोपों को बताया निराधार
09 Dec 2025
भारत ने कनाडा के विदेशी हस्तक्षेप जांच आयोग की उस रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज कर दिया है, जिसमें भारत पर कनाडा के चुनावों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया गया था। भारत ने कहा कि यह रिपोर्ट पूरी तरह निराधार और असत्य है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर ओटावा पर आरोप लगाया कि वह लगातार भारत के आंतरिक मामलों में दखल देता रहा है, जिसके कारण अवैध प्रवासन और संगठित अपराध का माहौल पैदा हुआ है।
मंत्रालय ने यह भी कहा, "हमने कथित हस्तक्षेप पर आधारित रिपोर्ट को देखा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि भारत कनाडा के चुनावों में हस्तक्षेप करता है। वास्तव में, कनाडा ही भारत के आंतरिक मामलों में बार-बार हस्तक्षेप करता रहा है, जिससे अवैध प्रवासन और संगठित अपराध को बढ़ावा मिला है।" विदेश मंत्रालय ने इस बात का भी जोर देकर कहा कि कनाडा की सरकार को अब ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और अवैध प्रवासन को बढ़ावा देने वाली प्रणालियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
कनाडा में हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि भारत, कनाडा में चुनावों में हस्तक्षेप करने वाले देशों में दूसरे नंबर पर है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन का प्रभाव कनाडा की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर भारत से ज्यादा है। इस रिपोर्ट में भारत पर यह आरोप भी लगाया गया है कि वह कनाडा के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए इंडो-कनाडाई समुदाय और अन्य प्रमुख गैर-इंडो-कनाडाई व्यक्तियों को टारगेट करता है। हालांकि, भारत ने इस रिपोर्ट के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है और इसे पूरी तरह से निराधार बताया है। भारत का कहना है कि यह रिपोर्ट किसी उद्देश्य से तैयार की गई है और इसका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है।
रिपोर्ट में चीन, रूस, पाकिस्तान और ईरान को भी शामिल किया गया है, जिन्हें कनाडा के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का दोषी ठहराया गया है। हालांकि, भारत पर आरोप लगाए जाने के बाद, यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या इस तरह की रिपोर्ट कनाडा सरकार के विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक नई दिशा की ओर इशारा करती है।
भारत का स्पष्ट रूप से यह कहना है कि उसने कभी भी कनाडा के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास नहीं किया है और यह आरोप पूरी तरह से गलत और असंयमित हैं।
इस बीच, कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में रिपुदमण सिंह मलिक की हत्या के मामले में 24 वर्षीय टैनर फॉक्स को बिना पैरोल के 20 साल की सजा सुनाई है। टैनर फॉक्स को दूसरे दर्जे की हत्या का दोषी पाया गया था। फॉक्स ने अदालत में अपनी सजा सुनाए जाने के बाद कहा, "मैं जानता हूं कि जो भी मैं कहूं, वह मलिक को वापस नहीं ला सकता। मैं इस अपराध में अपनी भूमिका के लिए खेद व्यक्त करता हूं।"
रिपुदमण सिंह मलिक, जिनका नाम 1985 के कनिश्का बम धमाके में भी आया था, को एक विवादास्पद व्यक्ति माना जाता था। कनिश्का धमाके में 329 लोगों की मौत हुई थी। हालांकि, मलिक और उनके सह-आरोपी अजायब सिंह बगरी को अदालत ने सबूतों की कमी के कारण बरी कर दिया था।
इस घटना में इंदरजीत सिंह रेयत को दोषी ठहराया गया था। मलिक के संबंध खालिस्तान समर्थक गतिविधियों से जुड़ने की वजह से भी चर्चा में रहे थे। हालांकि, 2022 में उन्होंने खालिस्तान आंदोलन से किनारा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की थी और एक सार्वजनिक पत्र भी जारी किया था। यह माना जाता है कि मलिक का एक विवाद खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर से था, जो 2022 में 18 जून को उसी शहर में मारे गए थे। मलिक को 2022 में भारत यात्रा की अनुमति दी गई थी और उन्हें 14 जुलाई को मारा गया था। खालिस्तानी समूह 'सिख्स फॉर जस्टिस' (SFJ) ने मलिक की हत्या के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था।
यह मामला न केवल भारत-कनाडा संबंधों में तनाव बढ़ाने का कारण बना है, बल्कि यह खालिस्तान आंदोलन से जुड़े विवादों और इन घटनाओं के राजनीतिक पहलुओं को भी उजागर करता है। भारत और कनाडा के बीच के इस विवाद का असर दोनों देशों के अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर पड़ेगा, खासतौर पर तब जब कनाडा में बड़ी संख्या में भारतीय और भारतीय मूल के नागरिक रहते हैं।
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